केद्रीय मंत्रिमंडल ने सॉफ्टवेयर उत्पादों पर राष्ट्रीय नीति-2019 को मंजूरी दी; ताकि भारत को एक सॉफ्टवेयर उत्पाद राष्ट्र के तौर पर विकसित किया जा सके। सॉफ्टवेयर उत्पाद पारिस्थितिकी तंत्र को इसके नवाचारों, बौद्धिक संपदा (आईपी) सृजन और उत्पादकता में विशाल मूल्य संवर्द्धन वृद्धि से परिभाषित किया जाता है। इसमें इस क्षेत्र के राजस्व और निर्यातों को महत्वपूर्ण ढंग से बढ़ाने, मूलभूत रोजगार और उभरती हुई प्रौद्योगिकियों में उद्यम संबंधी अवसरों को पैदा करने, और डिजिटल भारत कार्यक्रम के अंतर्गत उपलब्ध अवसरों का लाभ उठाने की संभावना है। इससे समावेशी और स्थायी विकास में बढ़ोतरी का मार्ग प्रशस्त होगा।
इस नीति के अंतर्गत सोची गई योजनाओं और कार्यक्रमों के क्रियान्वयन हेतु अगले सात वर्षों के लिए 1500 करोड़ रुपये के व्यय को शुरुआती तौर पर शामिल किया गया है। इन 1500 करोड़ रुपयों को सॉफ्टवेयर उत्पाद विकास निधि (एसपीडीएफ) और अनुसंधान एवं नवाचार निधि में विभाजित किया जाएगा।
क्रियान्वयन रणनीति और लक्ष्य
इस नीति के अंदर जिस रूपरेखा की परिकल्पना की गई है, उससे देश में सॉफ्टवेयर उत्पाद क्षेत्र के विकास के लिए विभिन्न योजनाओं, पहलों, परियोजनाओं और तौर-तरीकों के सूत्रीकरण की राह बनेगी।
सॉफ्टवेयर उत्पादों पर राष्ट्रीय नीति (एनपीएसपी-2019) के सपने को हासिल करने के लिए इस नीति में निम्नलिखित पांच मिशन रखे गए हैं-