केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 2019 की राष्ट्रीय खनिज नीति को मंजूरी दे दी है। राष्ट्रीय खनिज नीति 2019 ने मौजूदा राष्ट्रीय खनिज नीति 2008 (एनएमपी 2008) की जगह ली है, जिसे वर्ष 2008 में घोषित किया गया था।
राष्ट्रीय खनिज नीति 2019 का उद्देश्य अधिक प्रभावी, सार्थक और कार्यान्वयन योग्य नीति लागू करना है; जो पारदर्शिता, बेहतर विनियमन और प्रवर्तन, संतुलित सामाजिक और आर्थिक विकास के साथ-साथ स्थायी खनन प्रथाओं को भी बढ़ावा देगा।
2019 नीति खनन गतिविधियों को उद्योग का दर्जा देने का प्रस्ताव करती है, जिससे निजी क्षेत्र द्वारा खनन वित्तपोषण और अन्य देशों में खनिज संपत्ति अधिग्रहण को बढ़ावा दिया जा सके।
यह ‘इंटर-जेनरेशन इक्विटी’ की अवधारणा को भी प्रस्तुत करती है, जो न केवल वर्तमान पीढ़ी, बल्कि आने वाली पीढ़ियों की भलाई से संबंधित है। सतत खनन विकास सुनिश्चित करने एवं तंत्रा को संस्थागत बनाने के लिए एक अंतर-मंत्रालयी निकाय का गठन करने का भी प्रस्ताव करती है।
लाभ
नई राष्ट्रीय खनिज नीति अधिक प्रभावी विनियमन सुनिश्चित करेगी। यह परियोजना प्रभावित व्यक्तियों, विशेषकर आदिवासी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के मुद्दों को संबोधित करते हुए भविष्य में सतत खनन के विकास को बढ़ावा देगी।
प्रमुख तथ्य
आरपी/पीएल धारकों के लिए पहले इनकार के अधिकार का समावेशन। अन्वेषण के लिए निजी क्षेत्र को प्रोत्साहित करना।
खनन संस्थाओं के विलय और अधिग्रहण का प्रोत्साहन।
निजी क्षेत्र के खनन क्षेत्रों को बढ़ावा देने के लिए खनन पट्टों के हस्तांतरण और समर्पित खनिज गलियारों का निर्माण।
खनिज के लिए दीर्घकालिक आयात निर्यात नीति निजी क्षेत्र को बेहतर योजना और व्यवसाय में स्थिरता में मदद करेगी।
सार्वजनिक उपक्रमों को दिए गए आरक्षित क्षेत्रों को युत्तिफ़संगत बनाना चाहिए। जिन आरक्षित क्षेत्रों का उपयोग नहीं किया गया है, उन क्षेत्रों को नीलामी के लिए रखा जाना चाहिए, जिससे निजी क्षेत्र की भागीदारी के लिए अवसर उपलब्ध होगा।
निजी क्षेत्रों की मदद के लिए विश्व मानदंड के अनुरूप करों, लेवी और रॉयल्टी का सामंजस्य किया जाना चाहिए।