घेंघा रोग समस्या की जटिलता महसूस करते हुए भारत सरकार ने वर्ष 1962 में सौ प्रतिशत केंद्रीय वित्त पोषित राष्ट्रीय घेंघा रोग नियंत्रण कार्यक्रम (National Goiter Control Programme-NGCP) शुरू किया।
अगस्त, 1992 में राष्ट्रीय घेंघा रोग नियंत्रण कार्यक्रम का नाम राष्ट्रीय आयोडीन अल्पता विकार नियंत्रण कार्यक्रम (National Iodine Deficiency Disorder Control Programme -NIDDCP) कर दिया गया, जिसमें आयोडीन की कमी से उत्पन्न होने वाले विभिन्न रोगों को शामिल किया गया। कार्यक्रम को संपूर्ण जनसमुदाय के लिए सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में लागू किया गया है।
देश में आयोडीन अल्पता विकार की व्यापकता को पांच प्रतिशत से कम करना घरेलू स्तर पर पर्याप्त रूप में आयोडीनयुक्त नमक (15ppm) का शत-प्रतिशत उपभोग सुनिश्चित करना।
भारत में कुपोषण का बड़ा कारण लैंगिक असमानता भी है। भारतीय महिला के निम्न सामाजिक स्तर के कारण उसके भोजन की मात्र और गुणवत्ता में पुरुष के भोजन की अपेक्षा कहीं अधिक अंतर होता है।