राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम, 1992 के द्वारा राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग का गठन एक सांविधिक निकाय के रूप में किया गया था।
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के कार्य
निष्कर्ष
हाल की सांप्रदायिक तनावों के आधार पर अल्पसंख्यकों को भारत की धर्मनिरपेक्ष स्थिति पर संदेह नहीं करना चाहिए। राज्य को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उचित संचार और सूचना प्रसार के माध्यम से किसी भी प्रकार के अविश्वास या शंका का समाधान किया जाय। अल्पसंख्यकों को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक रूप से सशक्त बनाने के साथ उनकी भाषा एवं परंपराओं का संरक्षण किया जाना चाहिए।