किशोर न्याय (बच्चे की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015,15 जनवरी, 2016 से लागू हुआ है और इसने किशोर न्याय (बच्चे की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2000 को प्रतिस्थापित कर दिया।
प्रमुख प्रावधान निम्नलिखित हैं:
कुछ महत्वपूर्ण प्रावधान
किशोर को वयस्क के रूप में माननाः अधिनियम के अनुसार, 16 साल या उससे अधिक उम्र के किशोरों को बलात्कार और हत्या जैसे जघन्य अपराधों के मामलों में वयस्कों के समान माना जायेगा। जघन्य अपराध वे हैं, जिसमें सात साल या उससे अधिक के कारावास का प्रावधान है।
राष्ट्रीय विधि सेवा प्राधिकरण
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अधिनियम की महत्वपूर्ण विशेषता
कमियां एवं सुझाव
आईसीसी में सिविल सोसाइटी संगठन की कोई भागीदारी नहीं है। आईसीसी में सदस्य केवल संगठन से है, जो पूर्वाग्रह से ग्रस्त हो सकते है।