स्वदेशी रक्षा उत्पादन तकनीक अथवा रक्षा क्षेत्र से जुड़ा औद्योगिक आधार किसी भी देश के दीर्घकालिक सामरिक नियोजन का अभिन्न अवयव है। आयात पर काफी अधिक निर्भरता न केवल सामरिक नीति एवं इस क्षेत्र की सुरक्षा में भारत द्वारा निभाई जाने वाली भूमिका के नजरिए से अत्यंत नुकसानदेह है, बल्कि विकास एवं रोजगार सृजन की संभावनाओं के मद्देनजर आर्थिक दृष्टि से भी चिंता का विषय है। सही अर्थों में सैन्य शक्ति में आधुनिक समृद्धि सुपर पावर के रूप में किसी भी राष्ट्र के उत्थान की कुंजी है।
रक्षा उत्पाद नीति का मुख्य लक्ष्य
वर्तमान में लघु एवं माध्यम उद्यमों (Small and micro interprises SMEs) प्रोत्साहन देना तथा भारत के अनुसंधान के आधुनिक मापदंडों को प्राप्त करना।
भारत की रक्षा प्रौद्योगिकी में वर्तमान स्थिति
भारत की रक्षा प्रद्यौगिकी वैश्विक शक्तियों के समान उच्चतम स्थिति पर पहुंच गई है। भारत विश्व के उन चार देशों में से एक है, जिनके पास बहुस्तरीय सामरिक क्षमता है, उन पांच देशों में से एक देश है, जिसके पास अपना बीएमडी कार्यक्रम है, उन 6 देशों में से एक देश है, जिसके पास अपना मुख्य युद्धक टैंक है और उन 7 देशों में से एक देश है, जिसके पास अपने चौथी श्रैणी के युद्धक विमान हैं।