पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने (9 फरवरी, 2016 को) पूर्वोत्तर भारत के लिए हाइड्रोकार्बन विजन 2030 जारी किया है।
इसका उद्देश्य पूर्वोत्तर क्षेत्र की हाइड्रोकार्बन क्षमता का लाभ उठाने, स्वच्छ ईंधन तक पहुंच बढ़ाने, पेट्रोलियम उत्पादों की उपलब्धता में सुधार, आर्थिक विकास को सुविधाजनक बनाने और इस क्षेत्र में आम लोगों को आर्थिक गतिविधियों से जोड़ना है।
इसमें अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा को शामिल किया गया है।
विजन निम्नलिखित पांच स्तंभों पर टिका हुआ हैः
लोगः यह कौशल विकास को बढ़ावा देने और स्थानीय समुदाय की भागीदारी के साथ घरों में स्वच्छ ईंधन के उपयोग से सम्बंधित है।
नीतिः किसी क्षेत्र के विशिष्ट भूभाग और मौसम को ध्यान में रखकर नई परियोजनाओं के लिए निधि योजना को सुनिश्चित करना है।
साझेदारीः योजना और कार्यान्वयन में राज्य सरकारों की अधिक भागीदारी और पड़ोसी राष्ट्रों के साथ व्यापार बढ़ाने पर बल दिया गया है।
परियोजनाएं: द्रवीभूत पेट्रोलियम गैस (LPG), प्राकृतिक गैस और पेट्रोलियम उत्पादों, तेल और स्नेहक (पीओएल) को ले जाने के लिए पाइपलाइन कनेक्टिविटी, रिफाइनरियों और आयात लिंक का निर्माण, संपीड़ित प्राकृतिक गैस (CNG) पाइपलाइन और शहर गैस वितरण नेटवर्क के विकास पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
उत्पादनः इसमें उत्पादन संवर्द्धन संविदा, तकनीक परिनियोजना और अतिशीघ्र निर्गम एवं सेवा प्रदाता केंद्र का विकास शामिल है।
फोकस क्षेत्रों में बांग्लादेश, म्यांमार, नेपाल और भूटान के साथ हाइड्रोकार्बन संपर्क का विस्तार, क्षेत्र में ‘मेक इन इंडिया’ का कार्यान्वयन, स्वास्थ्य और चिकित्सा सुविधाओं का विकास, औद्योगिक नीति तथा अवसंरचना संबंधी कार्रवाई बिंदु, कौशल विकास, रोजगार सृजन एवं व्यापार के अवसरों की खोज आदि शामिल है।
2030 तक तेल और गैस उत्पादन को दोगुना करने, स्वच्छ ईंधन को सुलभ बनाने, रोजगार के अवसर पैदा करने और पड़ोसी देशों के साथ सहयोग को बढ़ावा देना इस विजन का उद्देश्य है।