देश भर में 350 से अधिक नदियों को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए एक राष्ट्रीय योजना तैयार करने व उसे लागू करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (NGT) ने एक ‘केंद्रीय निगरानी समिति’ (Central Monitoring Committee) का हाल ही में गठन किया। इन नदियों के प्रदूषण ने जल व पर्यावरण की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा पैदा कर दिया है।
केंद्रीय निगरानी समिति के कार्य
केंद्रीय निगरानी समिति राज्यों की ‘नदी कायाकल्प समितियों’ (River Rejuvenation Committees) के साथ समन्वय करेगी। इसके अतिरिक्त समय-सीमा, बजटीय तंत्र और अन्य कारकों को ध्यान में रखते हुए कार्य योजनाओं के निष्पादन की देखरेख भी करेगी।
राज्यों के मुख्य सचिव राज्य स्तर पर नोडल एजेंसी होंगे। हिमाचल प्रदेश में 7 नदियां- सुखना, मारकंडा, सिरसा, अश्वनी, ब्यास, गिरि और पब्बर प्रदूषित पाई गई हैं। इनमें से जिन नदियों का ‘जैविक ऑक्सीजन मांग’ (Biological Oxygen Demand) स्तर अनुमन्य सीमा से ऊपर हैं, उनकी पहचान ‘गंभीर रूप से प्रदूषित’ नदियों के रूप में की गई है।