राष्ट्रीय जैव प्रौद्योगिकी विकास नीति 2015-20 के अनुसार स्वास्थ्य, खाद्य और पोषण, स्वच्छ ऊर्जा तथा शिक्षा के क्षेत्र में चार प्रमुख मिशनों की शुरुआत की गयी। इन नए समूहों में 40 बायोटेक इन्क्यूबेटरों, 150 टीटीओ, और 20 बायो-कनेक्ट केन्द्रों सहित, वैश्विक भागीदारी के साथ देशभर में प्रौद्योगिकी विकास और ट्रांसलेशन नेटवर्क बनाया जाएगा। सरकार ने सूचना प्रौद्योगिकी की तरह भारत को जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विश्व की अग्रणी ताकत बनाने और साल 2025 तक इस उद्योग को 100 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है।
इससे पहले साल 2007 के नीति जारी की गई थी। इसमें भारत को विश्व के प्रमुख उत्पादन केंद्र के रूप में विकसित करने का लक्ष्य रखा गया था। इसके तहत नए जैव प्रौद्योगिकी उत्पादों के निर्माण, अनुसंधान एवं विकास के लिये सृदृढ ढांचा तैयार करने, व्यावसायीकरण तथा मानव संसाधनों को वैज्ञानिक एवं तकनीकी तौर पर सशक्त बनाने की दिशा में मिशन के रूप में काम करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
भारत में जैव प्रौद्योगिकी उद्योग इस समय सात अरब डॉलर का है और सरकार ने 2025 तक इसे 100 अरब डॉलर ले जाने का लक्ष्य रखा है।