ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2018

वैश्विक भूख सूचकांक 2018 (2018 Global Hunger Index- GHI) 11 अक्टूबर को जारी किया गया। इस सूचकांक में 119 देशों का आकलन किया गया जिसमें भारत की रैंकिंग 31.1 स्कोर के साथ 103 थी। वर्ष 2017 में भारत की रैंकिंग 100 थी जबकि 2014 में 55 वें पायदान पर। इस प्रकार से देखा जाये तो भारत द्वारा अनेक कल्याणकारी योजनाओं के संचालन के बावजूद सापेक्ष रूप से स्थिति बदतर हुई है। इसका मूल कारण इन योजनाओं का ठीक ढंग से क्रियान्वयन न किया जाना है। भारत में भूख का स्तर गंभीर (serious) है। इस रिपोर्ट का संयुक्त प्रकाशन कंसर्न वर्ल्डवाइड और वेलथंगरहिल्फे (Concern WorldwideAnd Welthungerhilfe) द्वारा किया गया है और इस सूचकांक का मुख्य फोकस 'Forced MigrationAnd Hunger' है।

119 देशों वाले इस इंडेक्स के अनुसार प्रथम 15 देश ऐसे हैं जिनका स्कोर 5 से कम है।

बेलारूस को प्रथम स्थान हासिल हुआ है जबकि न्यूनतम रैंकिंग वाला देश है- मध्य अफ्रीकी गणराज्य जो 119वें पायदान पर है। भारत की रैंक पड़ोसी देशों चीन (25), श्रीलंका (67), नेपाल (72) और बांग्लादेश (86) से पीछे है। भारत केवल पाकिस्तान (106) और अफगानिस्तान (111) से बेहतर स्थिति में है।

ब्रिक्स एवं सार्क देशों की रैंकिंग

रैंक

देश

स्कोर

रैंक

देश

स्कोर

21

रूसी संघ

6.1

25

चीन

7.6

31

ब्राजील

8.5

60

दक्षिण अफ्रीका

14.5

67

श्रीलंका

17.9

72

नेपाल

21.2

86

बांग्लादेश

26.1

103

भारत

31.1

106

पाकिस्तान

32.6

111

अफगानिस्तान

34.3

निर्धनता मापन

निर्धनता की माप निरपेक्ष और सापेक्ष रूप में की जाती है। एक व्यक्ति की निरपेक्ष निर्धनता से आशय है उसकी आय या उपभोग व्यय इतना कम है कि वह न्यूनतम भरण-पोषण स्तर से नीचे स्तर पर रह रहा है। भारत में निर्धनता से अर्थ निरपेक्ष निर्धनता से ही लिया जाता है। सापेक्ष निर्धनता से अभिप्राय आय की असमानताओं से होता है। इस विधि का प्रयोग विश्व के देशों की आय को तुलनात्मक दृष्टि से मापने के लिए किया जाता है। भारत में निर्धनता की स्थिति का अनुमान प्रतिदिन न्यूनतम कैलोरी उपभोग, आय एवं रहने के स्थान के आधार पर किया जाता है। इस परिभाषा के अनुसार यदि किसी व्यक्ति को गांव में 2400 कैलोरी प्रतिदिन और शहर में 2100 कैलोरी प्रतिदिन नहीं मिलता है तो उसे निर्धनता रेखा के नीचे माना जाता है। भारत में निर्धनता के स्तर में गिरावट तो आ रही है लेकिन समावेशी विकास के अभाव में यह अभी भी मौजूद है।

गरीबी रेखा के नीचे जनसंख्या का प्रतिशत
(सी रंगराजन कमिटी के मानदंडों के अनुरूप)

राज्य

ग्रामीण

शहरी

कुल

1.

आंध्रप्रदेश

12.7

15.6

13.7

2.

अरुणाचल प्रदेश

39.3

30.9

37.4

3.

असम

42.0

34.2

40.9

4.

बिहार

40.1

50.8

41.3

5.

छत्तीसगढ़

49.2

43.7

47.9

6.

दिल्ली

11.9

15.7

15.6

7.

8.

गोवा

गुजरात

1.4

31.4

9.1

22.2

6.3

27.4

9.

हरियाणा

11.0

15.3

12.5

10.

हिमाचल प्रदेश

11.1

8.8

10.9

11.

जम्मू-कश्मीर

12.6

21.6

15.1

12.

झारखंड

45.9

31.3

42.4

13.

कर्नाटक

19.8

25.1

21.9

14.

केरल

7.3

15.3

11.3

15.

मध्यप्रदेश

45.2

42.1

44.3

16.

महाराष्ट्र

22.5

17.0

20.0

17.

मणिपुर

34.9

73.4

46.7

18.

मेघालय

26.3

16.7

24.4

19.

मिजोरम

33.7

21.5

27.4

20.

नागालैंड

6.1

32.1

14.0

21.

ओडिशा

47.8

36.3

45.9

22.

पंजाब

7.4

17.6

11.3

23.

राजस्थान

21.4

22.5

21.7

24.

सिक्किम

20.0

11.7

17.8

25.

तमिलनाडु

24.3

20.3

22.4

26.

त्रिपुरा

22.5

31.3

24.9

27.

उत्तर प्रदेश

38.1

45.7

39.8

28.

उत्तराखण्ड

12.6

29.5

17.8

29.

पश्चिम बंगाल

30.1

29.0

29.7

30.

पुदुचेरी

5.9

8.6

7.7

31.

अंडमान निकोबार द्वीप समूह

6.6

4.9

6.0

32.

चंडीगढ़

12.0

21.5

21.3

33.

दादर नगर हवेली

55.2

15.3

35.6

34.

दमन और दीव

0.0

17.6

13.7

35.

लक्षद्वीप

0.6

7.9

6.5

भारत

30.9

26.4

29.5

बहुआयामी गरीबी के तीन आयाम हेतु संकेतक

(2010 में UNDP और OPHI द्वारा पहली बार प्रकाशित)

  1. स्वास्थ्य (Health)
  2. पोषण (Nutrition)
  3. बाल मृत्यु दर (Child Mortality)
  4. शिक्षा (Education)
  5. स्कूल अवधि वर्षों में (Years of School)
  6. विद्यालय उपस्थिति (SchoolAttendance)
  7. जीवन स्तर (Living standards)
  8. खाना पकाने का ईंधन (Cooking fuel)
  9. स्वच्छता (Sanitation)
  10. पेय जल (Drinking Water)
  11. बिजली (Electricity)
  12. आवास (Housing)
  13. परिसंपत्ति (Assets)

लकड़ावाला समिति योजना आयोग के अनुसार वर्ष 2004-05 में निर्धनता का अनुपात पूरे देश में 27.5 प्रतिशत के स्तर पर था जो पहले की अपेक्षा कम है। तेंदुलकर समिति के अनुसार 2004-05 में भारत में निर्धनता का स्तर 37.2 प्रतिशत आंका गया था। तेंदुलकर समिति के अनुसार वर्ष 2004-05 में निर्धनता का अनुपात ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में क्रमशः 41.8% एवं 25.7% था।

रंगराजन समिति के नए आंकड़े के हिसाब से 2011-12 में गरीबी अनुपात 29.5% है। भारत के ग्रामीण क्षेत्र में निर्धनता का स्तर शहरी क्षेत्र के निर्धनता स्तर से अधिक है।

सतत विकास लक्ष्य

वैश्विक स्तर पर अगले 15 वर्षों में गरीबी और भूख को समाप्त करने, लिंग समानता को सुनिश्चित करने तथा सभी को सम्मानित जीवन का अवसर उपलब्ध कराने के उद्देश्य से संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा पूर्व में लागू ‘सहस्राब्दि विकास लक्ष्य’ के स्थान पर ‘सतत विकास लक्ष्य’ या ‘एजेंडा-2030’ 4 अगस्त, 2015 को स्वीकार किया गया, जिसमें 17 मुख्य लक्ष्यों तथा 169 सहायक लक्ष्यों को निर्धारित करते हुए P5 (People, Planet, Peace, ProsperityAnd Partnership) पर जोर दिया गया है। सितंबर, 2015 में संयुक्त राष्ट्र का ‘सतत विकास सम्मेलन’ न्यूयॉर्क में आयोजित किया गया जिसमें 150 देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने हिस्सा लेते हुए एजेंडा-2030 को औपचारिक तौर पर अंगीकृत कर लिया। ‘सतत विकास लक्ष्य’ को नाम दिया गया है-‘हमारी दुनिया का रूपांतरणः सतत विकास के लिए 2030 का एजेंडा’।

सतत विकास लक्ष्य’- एजेंडा-2030, 1 जनवरी, 2016 से प्रभावी हो गया है। ‘सतत विकास लक्ष्य’ को वर्ष 2016-30 तक के लिए लक्ष्यित किया गया है। इसे ‘2015 पश्चात विकास एजेंडा’ भी कहा गया है।