सूचना का अधिकार अधिनियम हर नागरिक को अधिकार देता है कि वह -
सभी सरकारी विभाग, पब्लिक सेक्टर यूनिट, किसी भी प्रकार की सरकारी सहायता से चल रहीं गैर सरकारी संस्थाएं व शिक्षण संस्थाएं, आदि विभाग इसमें शामिल हैं। पूर्णतः निजी संस्थाएं इस कानून के दायरे में नहीं हैं लेकिन यदि किसी कानून के तहत कोई सरकारी विभाग किसी निजी संस्था से कोई जानकारी मांग सकता है तो उस विभाग के माध्यम से वह सूचना मांगी जा सकती है (धारा-2(क) और (ज) के तहत हर सरकारी विभाग में एक या एक से अधिक लोक सूचना अधिकारी बनाए गए हैं। यह वह अधिकारी हैं जो सूचना के अधिकार के तहत आवेदन स्वीकार करते हैं, मांगी गई सूचनाएं एकत्र करते हैं और उसे आवेदनकर्ता को उपलब्ध् कराते हैं। (धारा-5(1) लोक सूचना अधिकारी की जिम्मेदारी है कि वह 30 दिन के अन्दर (कुछ मामलों में 45 दिन तक) सूचना उपलब्ध कराए। (धारा-7(1)।
अगर लोक सूचना अधिकारी आवेदन लेने से मना करता है, तय समय सीमा में सूचना नहीं उपलब्ध कराता है अथवा गलत या भ्रामक जानकारी देता है तो देरी के लिए 250 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से 25000 तक का जुर्माना उसके वेतन में से काटा जा सकता है। साथ ही उसे सूचना भी देनी होगी। लोक सूचना अधिकारी को अधिकार नहीं है कि वह सूचना मांगने का करण पूछे (धारा 6(2)। सूचना मांगने के लिए आवेदन फीस देनी होगी (केन्द्र सरकार ने आवेदन के साथ 10 रुपए की फीस तय की है,लेकिन कुछ राज्यों में यह अधिक है, बीपीएल कार्डधारकों से सूचना मांगने की कोई फीस नहीं ली जाती (धारा 7(5)। दस्तावेजों की प्रति लेने के लिए भी फीस देनी होगी। (केन्द्र सरकार ने यह फीस 2 रुपए प्रति पृष्ठ रखी है लेकिन कुछ राज्यों में यह अधिक है, अगर सूचना तय समय सीमा में नहीं उपलब्ध् कराई गई है तो सूचना मुफ्रत दी जायेगी (धारा 7(6))।
यदि कोई लोक सूचना अधिकारी यह समझता है कि मांगी गई सूचना उसके विभाग से सम्बंधित नहीं है तो यह उसका कर्तव्य है कि उस आवेदन को पांच दिन के अन्दर सम्बंधित विभाग को भेजे और आवेदक को भी सूचित करे। ऐसी स्थिति में सूचना मिलने की समय सीमा 30 की जगह 35 दिन होगी। (धारा 6(3) लोक सूचना अधिकारी यदि आवेदन लेने से इंकार करता है। अथवा परेशान करता है। तो उसकी शिकायत सीधे सूचना आयोग से की जा सकती है। सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई सूचनाओं को अस्वीकार करने, अपूर्ण, भ्रम में डालने वाली या गलत सूचना देने अथवा सूचना के लिए अधिक फीस मांगने के खिलाफ केन्द्रीय या राज्य सूचना आयोग के पास शिकायत कर सकते है।
लोक सूचना अधिकारी कुछ मामलों में सूचना देने से मना कर सकता है। जिन मामलों से सम्बंधित सूचना नहीं दी जा सकती उनका विवरण सूचना के अधिकार कानून की धारा 8 में दिया गया है। लेकिन यदि मांगी गई सूचना जनहित में है तो धारा 8 में मना की गई सूचना भी दी जा सकती है।जो सूचना संसद या विधानसभा को देने से मना नहीं किया जा सकता उसे किसी आम आदमी को भी देने से मना नहीं किया जा सकता।
यदि लोक सूचना अधिकारी निर्धारित समय-सीमा के भीतर सूचना नहीं देते हैं या धारा 8 का गलत इस्तेमाल करते हुए सूचना देने से मना करता है, या दी गई सूचना से सन्तुष्ट नहीं होने की स्थिति में 30 दिनों के भीतर सम्बंधित लोक सूचना अधिकारी के वरिष्ठ अधिकारी यानि प्रथम अपील अधिकारी के समक्ष प्रथम अपील की जा सकती है (धारा 19(1)।
यदि आप प्रथम अपील से भी सन्तुष्ट नहीं हैं तो दूसरी अपील 60 दिनों के भीतर केन्द्रीय या राज्य सूचना आयोग (जिससे सम्बंधित हो) के पास करनी होती है। (धारा 19(3)।