Question : प्रश्न: ब्रिटिश शासन के परिणाम के रूप में हुए कुछ सामाजिक और कानूनी परिवर्तन आज भी हमारे जीवन को प्रभावित कर रहे हैं। उदाहरण के साथ स्पष्ट कीजिए।
Answer : उत्तरः कुछ सामाजिक तथा सांस्कृतिक परिवर्तन
कुछ वैधानिक परिवर्तन
Question : स्वतंत्रता के तुरंत बाद भारत ने किन महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना किया? कुछ चुनौतियों का वर्णन करें।
Answer : उत्तरः स्वतंत्र होते ही भारत को अनेक भीषण चुनौतियों का सामना करना पड़ा। स्वतंत्रता के साथ ही भारत को विभाजन की त्रासदी झेलनी पड़ी। विभाजन के परिणाम स्वरूप लाखों की संख्या में शरणार्थियों का आगमन हुआ तथा इनके पुनर्वास की समस्या सामने आई।
Question : स्वतंत्रता के उपरांत भारत में आरंभ हुए सहकारी आंदोलन का कृषि क्षेत्र पर प्रभाव के विशेष उल्लेख के साथ, आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए।
Answer : उत्तरः सहकारी समिति एक स्वैच्छिक संयुक्त समिति होती है, जिसमें लोग स्वेच्छा से शामिल होते हैं। इस प्रकार वे लोकतान्त्रिक कार्य प्रणाली को अपनाते हुए संयुक्त रूप से अपने सामाजिक, आर्थिक तथा सांस्कृतिक उद्देश्यों की प्राप्ति करते हैं।
Question : स्वतंत्रता के उपरांत जनजातियों के एकीकरण हेतु नेहरूवादी दृष्टिकोण के सामान्य सिद्धांतों की चर्चा करें।
Answer : उत्तरः भारतीय जनजातियों के एकीकरण का कार्य उनकी भिन्न-भिन्न संस्कृति, भाषा तथा फैलाव के कारण अत्यंत दुष्कर था।
Question : उन राजनेताओं के बीच जिनका हाल की भारतीय राजनीति की धारा पर जबर्दस्त प्रभाव रहा है जयप्रकाश नारायण सर्वोच्च स्थान पर खड़े हैं।’’ उपर्युक्त कथन के प्रकाश में जयप्रकाश नारायण के योगदान का विश्लेषण करें।
Answer : उत्तरःजयप्रकाश नारायण "लोकनायक" के नाम से भी प्रसिद्ध हैं, जो एक स्वतंत्रता सेनानी तथा धर्मयोद्धा के रूप में समाज कल्याण के कार्यों के लिए जाने जाते हैं।
Question : 25 जून, 1975 लोकतांत्रिक भारत के इतिहास में सबसे अंधकारमय दिवस क्यों माना जाता है। चर्चा करें।
Answer : उत्तरः 25 जून, 1975 को तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी द्वारा आपातकाल की घोषणा की गई थी। यह कार्य तब किया गया, जब इन्दिरा गांधी की लोकप्रियता 1973 के पश्चात सबसे निचले स्तर पर थी। उनके शासन में कुछ मात्रा में गांव तथा शहरों में गरीबी के अनुपात में तो कमी आई थी, परन्तु दूरस्थ इलाकों में कोई फर्क नहीं पड़ा था।
Question : उन महत्वपूर्ण कारकों की चर्चा करें जिनके परिणाम स्वरूप1970-80 के दशक के ‘नया किसान आंदोलन’ का आविर्भाव हुआ
Answer : उत्तरः 1970 के आरंभ में अनेक राज्यों के किसानों ने अपनी आर्थिक दशा के सुधार हेतु संघर्ष किया, क्योंकि कृषि का वाणिज्यीकरण बढ़ता जा रहा था।
Question : नेहरू उचित रूप से स्वतंत्र भारत की विदेश नीति के निर्माता समझे जा सकते हैं। उपयुक्त उदाहरण के साथ कथन को स्पष्ट करें।
Answer : उत्तरः जवाहरलाल नेहरू ने तत्कालिक देशज तथा अन्तरराष्ट्रीय परिस्थितियों को देखते हुए गुटनिरपेक्षता की संकल्पना का प्रतिपादन किया।
Question : 1972 में भारत और पाकिस्तान के बीच शिमला समझौते पर हस्ताक्षर के लिए उत्तरदायी प्रमुख परिस्थितियों का वर्णन कीजिए। क्या इसने अपने उद्देश्य को प्राप्त कर लिया है?
Answer : उत्तरः 2 जुलाई 1972 को शिमला में भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी तथा पाक राष्ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो ने शिमला शान्ति समझौते पर हस्ताक्षर किए।
Question : 1976 के आपातकाल के दौरान कार्यपालिका विधायिका और न्यायपालिका के बीच का विभेद सामने प्रकट हो गया क्या आप इस बात से सहमत हैं
Answer : उत्तरः पारदर्शिता, उत्तरदायित्व तथा कानून का शासन किसी भी लोकतंत्र के लिए अति आवश्यक होते हैं। परंतु साथ ही लोकतंत्र में कार्यपालिका, न्यायपालिका तथा विधायिका का संतुलित समन्वय भी होना चाहिए। इन्दिरा गांधी की सरकार द्वारा 25 जून 1975 को देश में आपातकाल की घोषणा से लोकतंत्र का यह समन्वयन बिगड़ गया था। आपातकाल 21 मार्च 1977 तक जारी रहा। इस दौरान संसद में 42वाँ संविधान संशोधन भी 1977 में पारित किया गया, जिसको निम्नांकित महत्त्वपूर्ण बिन्दुओं के कारण भारत का ‘लघु संविधान’ भी कहा जाता है।
Question : आज दिखाई देने वाली राजनीति के निर्माण में जयप्रकाश नारायण द्वारा निभाई गई भूमिका की चर्चा करें।
Answer : उत्तरः जयप्रकाश नारायण (11 अक्टूबर, 1902-8 अक्टूबर, 1979) (संक्षेप में जेपी) भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और राजनेता थे। वे समाज-सेवक थे, जिन्हें ‘लोकनायक’ के नाम से भी जाना जाता है।
Question : पाकिस्तान के साथ भारत के शांति एवं युद्ध संबंधों तथा भारत की राजनीतिक एवं आर्थिक स्थिति पर 1965के भारत पाक युद्ध के प्रभावों का आलोचनात्मक विश्लेषण करें।
Answer : उत्तरः अनेक राजनीतिक तथा ऐतिहासिक कारणों से भारत एवं पाकिस्तान के संबंध अत्यंत जटिल प्रकृति के हैं। 1947 में हुआ हिंसक एवं रक्तरंजित विभाजन, कश्मीर मुद्दा तथा अनेक सैन्य संघर्ष, दोनों देशों के संबंधों को परिभाषित करते हैं।
Question : जे.पी. आन्दोलन सत्ताधारी दल की लोकतांत्रिक संस्थाओं के प्रति बढ़ती असहिष्णुता का प्राकृतिक परिणाम था। विश्लेषण करें।
Answer : उत्तरः 25 जून 1975 को आंतरिक अशांति के आधार पर संविधान के अनुच्छेद 352 के प्रावधानों का उपयोग करते हुए देश में राष्ट्रीय आपात लागू कर दिया गया। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आपात काल के दौरान केंद्र सरकार को प्रदत्त व्यापक अधिकारों का उपयोग करते हुए अपने राजनीतिक विरोधियों को जेल भेज दिया।
Question : स्वतंत्रता के तुरंत बाद भारत ने किन महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना किया? कुछ चुनौतियों का वर्णन करें।
Answer : उत्तरः स्वतंत्र होते ही भारत को अनेक भीषण चुनौतियों का सामना करना पड़ा। स्वतंत्रता के साथ ही भारत को विभाजन की त्रासदी झेलनी पड़ी। विभाजन के परिणाम स्वरूप लाखों की संख्या में शरणार्थियों का आगमन हुआ तथा इनके पुनर्वास की समस्या सामने आई।
Question : स्वतंत्रता के उपरांत भारत में आरंभ हुए सहकारी आंदोलन का कृषि क्षेत्र पर प्रभाव के विशेष उल्लेख के साथ, आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए।
Answer : उत्तरः सहकारी समिति एक स्वैच्छिक संयुक्त समिति होती है, जिसमें लोग स्वेच्छा से शामिल होते हैं। इस प्रकार वे लोकतांत्रिक कार्य प्रणाली को अपनाते हुए संयुक्त रूप से अपने सामाजिक, आर्थिक तथा सांस्कृतिक उद्देश्यों की प्राप्ति करते हैं।
Question : किस प्रकार समाजवादी विचारों ने भारतीय आर्थिक नीतियों के साधन और उद्देश्यों के निर्माण को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित किया है? चर्चा करें।
Answer : उत्तरः इंदिरा गांधी द्वारा भूमि सुधार तथा बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया। साथ ही, मुख्य उद्योगों को भी भारत सरकार के नियंत्रण में लाया गया।
Question : हाल के दिनों में हुए महिला आंदोलनों का महिला सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। व्याख्या करें।
Answer : उत्तरः महिला सशक्तिकरण आंदोलन समूचे सभ्यता में व्यापक बदलाव का एक महत्वपूर्ण घटक रहा है जो 20वीं सदी के आखिरी दशक का एक महत्वपूर्ण राजनीतिक और सामाजिक विकास बन गया। ऐसा शायद इसी मायने में कहा गया क्योंकि आबादी का आधा हिस्सा किसी भी रूप में समाज में अपना योगदान देने में अक्षम साबित हो रहा है।
Question : ‘‘सामाजिक, आर्थिक और जातिगत जनगणना सरकार की एक उचित पहल है।’’ आलोचनात्मक व्याख्या करें।
Answer : उत्तरः भारत में पहली बार सन् 2011 में सरकार द्वारा सामाजिक, आर्थिक तथा जातिगत आधारित जनगणना करवाने का निर्णय लिया गया। यह जनगणना योजना आयोग तथा ग्रामीण मंत्रालय के द्वारा संपन्न करवाई जा रही है। परन्तु सरकार के द्वारा उठाए गए इस नवीन कदम ने देश में इसके समर्थन तथा विरोध में दो वर्ग खड़े कर दिए हैं।
Question : भारत में जनसांख्यिकी स्थिति के विभिन्न पहलुओं का वर्णन करें और भारतीय जनसंख्या नीति की वर्तमान स्थिति की भी विवेचना करें।
Answer : उत्तरः भारत की 15वीं जनगणना गृह मंत्रालय के तत्वाधान में जनगणना एक्ट-1948 के अंतर्गत 2011 में संपन्न हुई जिससे भारतीय जनांकिकीय संरचना के निम्न बिंदु उभरकर सामने आए-
हिंदू | - | 80.5% |
मुसलमान | - | 13.4% |
ईसाई | - | 2.3% |
सिख | - | 1.9% |
बौद्ध | - | 0.8% |
भारत की जनसंख्या नीति 2000
निष्कर्ष रूप में गत दस वर्षों में भारत की जनसंख्या 17.6 प्रतिशत बढ़ी है जिस पर लगाम लगाने की सरकार की मंशा है। साथ ही सरकार जनसंख्या नीति 2000, के द्वारा एक सतत् विकासशील समृद्ध समाज की भी स्थापना करना चाहती है जिसके लिए जनसंख्या नियंत्रण अति आवश्यक है एवं इन लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु सरकार ने सन् 2045 को अपना अंतिम लक्ष्य प्राप्ति वर्ष माना है।
Question : प्रत्येक व्यक्ति जनसंख्या नियंत्रण तथा परिवार नियोजन का ढोल पीट रहा है। परंतु कम ही लोग उन शरीरों पर ध्यान देते हैं जिन्हें इसके लिए यातना झेलनी पड़ती हैं। भारत में महिलाओं हेतु स्वास्थ्य सेवा प्रणाली का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें तथा कुछ सुधारात्मक उपाय सुझाएं।
Answer : उत्तरः किसी राष्ट्र की जनसंख्या का स्वास्थ्य और पोषणीय स्थिति उसके विकास का महत्वपूर्ण सूचक होता है। मृत्यु दर, सूक्ष्म पोषकों की कमी और कुपोषण कुछ ऐसे सूचक हैं जिनका देश की स्वास्थ्य संबंधी स्थिति का मूल्यांकन करने में उपयोग किया जा सकता है।
सुझाव
Question : प्रश्न: किसी राष्ट्र के जीडीपी में महिलाओं द्वारा किए गए घरेलू कार्य को भी जोड़ा जाना चाहिए। इस परिप्रेक्ष्य में हालिया विकास के प्रकाश में इस कथन का विश्लेषण करें।
Answer : उत्तरः देश में 15-59 वर्ष के बीच की 16 करोड़ कामकाजी महिलाएं हैं। चूंकि सिर्फ घरेलू कार्य करती हैं, इसलिए वे बेरोजगार हैं। इनके अलावा करोड़ों अन्य महिलाएं ऐसी हैं जो घर-दफ्तर दोनों जगहों पर काम करती हैं। ऐसी महिलाओं की संख्या भी 20 करोड़ के आसपास है पर जहां तक सिर्फ घरेलू काम करने वाली 16 करोड़ महिलाओं का प्रश्न है, तो इनके मुकाबले महज 58 लाख पुरुष ऐसे हैं जो घरेलू कार्य करते हैं और बेरोजगार हैं।
Question : भारत में ग्रामीण श्रम की संरचना तथा लामबंदी पर वैश्वीकरण के प्रभाव का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें
Answer : उत्तरः ग्रामीण श्रम आम तौर पर अनौपचारिक क्षेत्र में कार्यरत होते हैं और अल्प आय के रूप में ऋणग्रस्तता और इसके बंधन के अधीन होते हैं। वैश्वीकरण के बाद ग्रामीण श्रम को मोटे तौर पर निम्न रूपों में वर्गीकृत किया जा सकता हैः
Question : समाज में महिलाओं तथा पुरुषों की स्थिति में अंतर तब तक कम नहीं होगा, खत्म होने की तो बात ही छोड़ दें, जब तक कि महिला तथा पुरुष की शिक्षा में अंतर है। इस परिप्रेक्ष्य में भारत में महिला केंद्रित शिक्षा नीति की आवश्यकता की चर्चा करें।
Answer : मॉडल-1
उत्तरः शिक्षा के द्वारा महिलाओं की सामाजिक स्थिति में परिवर्तन संभव है। शिक्षा से न केवल व्यक्ति के व्यक्तित्व व तार्किकता का विकास होता है बल्कि वह आर्थिक राजनैतिक व सांस्कृतिक रूप से भी मजबूत होता है।
मॉडल-2
उत्तर: शिक्षा के द्वारा महिलाओं की सामाजिक स्थिति में परिवर्तन संभव है। शिक्षा से न केवल व्यक्ति के व्यक्तित्व व तार्किकता का विकास होता है बल्कि वह आर्थिक राजनैतिक व सांस्कृतिक रूप से भी मजबूत होता है।
Question : भारत में बढ़ते भ्रूण हत्या की दुष्प्रवृति के क्या कारण हैं? इसे रोकने के क्या उपाय हैं?
Answer : उत्तरः कन्या भ्रूण हत्या, गर्भस्थ कन्या शिशु की हत्या है। इसके लिए गर्भस्थ शिशु का चिकित्सकीय लिंग परीक्षण करवाया जाता है तथा यदि यह शिशु कन्या होती है तो गर्भ में ही उसकी हत्या कर दी जाती है। स्पष्टतः कन्या भ्रूण हत्या में शिशु के माता-पिता, परिवार जन आदि शामिल रहते हैं। कन्या भ्रूण हत्या हमारे समाज पर एक कलंक है तथा देश की संवृद्धि एवं विकास के लिए गंभीर खतरा
भारत में कन्या भ्रूण हत्या के बढ़ते प्रचलन हेतु निम्नलिखित कारक उत्तरदायी हैं:
आधुनिक तकनीकी विकास
आधुनिक प्रविधियों तथा उपकरणों के विकास से गर्भस्थ शिशु का लिंग परीक्षण अत्यंत सरल हो गया है, अल्ट्रासाउंड, एमनियोसेन्टेसिस, सीवीएस आदि ऐसे ही कुछ उदाहरण हैं। कन्या भ्रूण हत्या रोकने हेतु निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं-
Question : ‘‘उस समय जबकि शेष विश्व इस समस्या से परिचित भी नहीं था, भारत वह पहला देश था जिसने 1950 के दशक में सरकार समर्थित परिवार नियोजन कार्यक्रम का विकास किया था। फिर भी, अब तक भारत जनसंख्या नियंत्रण में पिछड़ा हुआ है’’। इस तथ्य के प्रकाश में भारत की राष्ट्रीय जनसंख्या नीति 2000 का आलोचनात्मक विश्लेषण करें।
Answer : उत्तरः भारत विश्व का प्रथम देश था जिसने परिवार नियोजन कार्यक्रम प्रारंभ किया था। यह कार्यक्रम 1950 के दशक में ही प्रारंभ हो गया था परंतु योजना तथा क्रियान्वयन की खामियों के चलते यह महत्वकांक्षी कार्यक्रम अपने लक्ष्यों की प्राप्ति में सफल नहीं हो पाया।
Question : जनसंख्या भारत के लिए एक ‘‘दो धारी’’ तलवार जैसी समस्या है। आलोचनात्मक विश्लेषण करें।
Answer : उत्तरः भारत की जनसंख्या में होने वाली तीव्र वृद्धि हर जगह देखी जा सकती है। रेलवे स्टेशन, चिकित्सालय, धार्मिक स्थल, बाजार आदि सर्वत्र दिखाई देने वाली भीड़भाड़़ इस बात का स्पष्ट प्रमाण है कि भारत की जनसंख्या अत्यधिक हो चुकी है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार भारत की जनसंख्या 1,210,193,422 थी। चीन के पश्चात भारत विश्व का दूसरा सर्वाधिक जनसंख्या वाला राष्ट्र है तथा अनेक अध्ययन यह इंगित करते हैं कि भारत वर्ष 2025 तक जनंसख्या के मामले में चीन को पीछे छोड़ देगा। सरकार द्वारा जनसंख्या नियंत्रण हेतु प्रारंभ किए गए विभिन्न कार्यक्रमों, योजनाओं तथा उपायों के बावजूद भारत की जनसंख्या के 2050 के बाद ही स्थिर होने की संभावना है।
उच्च जनसंख्या के कारण
उच्च जनसंख्या का प्रभाव
जनसंख्या नियंत्रण हेतु आवश्यक कदम
Question : स्वतंत्र भारत के किसान आंदोलन स्वतंत्रता पूर्व के किसान आंदोलनों से किस प्रकार भिन्न हैं? चर्चा करें।
Answer : उत्तरः भारत में कृषक आंदोलनों का पुराना इतिहास रहा है, परंतु कालक्रम के परिस्थितियों के संदर्भ में स्वतंत्रता के पूर्व एवं पश्चात के आंदोलनों में स्पष्ट अंतर दिखाई पड़ता है। पूर्व के आंदोलन जहां सिर्फ लगान व भू-अधिकार तक सीमित थे, वहीं स्वतंत्रता पश्चात के आंदोलनों में पर्यावरणीय मुद्दे, भ्रष्टाचार एवं नीतिगत तथा संस्थागत खामियां जैसे विषय शामिल हैं।
स्वतंत्रता पूर्व के आंदोलन
स्वतंत्रता पश्चात के आंदोलन
उपर्युक्त बिंदुओं के संदर्भ में स्वतंत्रता पूर्व एवं पश्चात के आंदोलनों के मूल प्रकृति के स्वरूप को समझा जा सकता है, परंतु आवश्यकता ऐसी नीतिगत पहलों की है, जिससे किसानों को आंदोलन हेतु विवश न होना पड़े
Question : स्वतंत्र भारत में धार्मिकता किस प्रकार सांप्रदायिकता में रूपान्तरित हो गयी। इसका एक उदाहरण देते हुए धार्मिकता एवं सांप्रदायिकता के मध्य विभेदन कीजिये।
Answer : उत्तरः धार्मिकता एवं सांप्रदायिकता दोनों ही स्वयं में धर्म से जुडे़ हुए हैं। परन्तु यदि सूक्ष्म दृष्टि से देखें तो धार्मिकता एवं सांप्रदायिकता का धर्म जैसी संस्था/ विचार से संबंध अलग-अलग प्रतीत होते हैं। जहां एक तरफ धर्म मानव समाज को सभ्य, सहिष्णु, सदाचारवान, विचारवान, दयालु एवं प्यार से ओतप्रोत करता है, वहीं सांप्रदायिकता मानवीय समाज में फूट, द्वेष एवं विभाजन का कारण बनती है।
धार्मिकता एवं सांप्रदायिकता में अंतर को निम्नलिखित रूपों में समझा जा सकता है-