Question : ‘‘वर्तमान विकास परिदृश्य में ग्रामीण भारत की स्थानीय स्वशासी संस्थाएं विकासात्मक कार्यक्रमों के लागूकरण में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं परंतु विशेष प्रभाव नहीं उत्पन्न कर पाती।’’ देश में स्थानीय सरकारों को वित्तीय शक्तियों के खराब हस्तांतरण से जुड़े प्रमुख मुद्दों के संदर्भ में चर्चा करें।
Answer : उत्तरः भारत सरकार अधिनियम 1919, 1929 तथा 1935 में स्पष्टतः अर्द्ध-संघात्मक (Quasi-Federalism) अवधारणा को आरंभिक तौर पर अपनाया गया। 73वां संविधान संशोधन एक्ट तथा पंचायती राज के प्रावधानों ने पंचायती राज संस्थानों की विकास कार्यक्रमों के क्रियान्वयन में भूमिका को स्पष्टतः संहिताबद्ध किया परंतु पंचायती राज वित्तीय सुविधा के कम हस्तान्तरण के कारण इसमें ज्यादा सफलता नहीं मिली है। भारतीय संविधान की 11वीं अनुसूची में पंचायती राज संस्थानों को 29 विषय सौंपे गए हैं।
Question : ग्रामीण विकास तथा जमीनी स्तर पर लोकतंत्र को मजबूत करने में ग्रामीण विकास मंत्रालय तथा पंचायती राज्य मंत्रालय की भूमिका की तुलना और उनमें वैषम्य प्रकट करें।
Answer : उत्तरः ग्रामीण विकास मंत्रालय अधिकांश ग्रामीण विकास तथा कल्याण गतिविधियों हेतु नोडल एजेंसी है। मंत्रालय का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों का सतत सर्वांगीण तथा समावेशी विकास है। अतः गरीबी हटाना, रोजगार सृजन, सामाजिक आर्थिक सुरक्षा, आत्मनिर्भरता, अवसंरचना विकास आदि हेतु यह तत्पर है।
ग्रामीण विकास विभाग द्वारा निम्नलिखित बड़े कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं:
ग्रामीण विकास में पंचायतों की भूमिका
देश के गांवों के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक क्षेत्रों में पंचायतों की भूमिका महत्वपूर्ण है:
Question : शक्तियों का अपूर्ण वितरण अक्षम स्थानीय निकायों का कारण है। अनुसूची 11 तथा 12 में स्थानीय निकायों को प्रदान की गई शक्ति के प्रकाश में उपर्युक्त कथन की चर्चा करें।
Answer : उत्तरः भारत में 1992 के 73वें तथा 74वें संविधान संशोधन द्वारा क्रमशः ग्राम पंचायतों तथा नगरपालिकाओं को संवैधानिक दर्जा दिया गया तथा उन्हें स्थानीय स्तर पर विकास का दायित्व सौंपा गया। इस प्रकार भारत में सत्ता के विकेन्द्रीकरण हेतु त्रिस्तरीय पंचायती व्यवस्था अपनाई गई।
Question : PESA के अंतर्गत ग्रामीण स्तर पर शासन का सबसे विशिष्ट पक्ष कानूनी ढांचे के अंतर्गत जनजातीय समुदाय के स्व-शासन के कार्यकरण हेतु अवसर का निर्माण है। चर्चा करें।
Answer : उत्तरः ‘पेसा’ के माध्यम से राज्य विधायिका पहली बार अनुसूचित क्षेत्रों में अवस्थित पंचायतों के मामलों से जुड़ी है। ‘पेसा’ के ढांचे में ही इस उद्देश्य से प्रावधान किए गए हैं। इन प्रावधानों का राज्य विधायिका द्वारा अतिक्रमण नहीं किया जा सकता है। संविधान के भाग 9 में उल्लिखित किसी विषय को छोड़कर राज्य विधायिका कोई ऐसी विधि नहीं बनाएगी जो इन प्रावधानों का अतिक्रमण या उल्लंघन करती है। इसी तरह खण्ड (5) कार्यपालिका के ऐसे कार्यों पर निर्बन्धन लगाता है जो पेसा के मूलभूत लक्षणों से संबंधित प्रावधानों का उल्लंघन करते हैं।
Question : ई-शासन पहलें स्थानीय परिस्थितियों तथा सम्पादित की जाने वाली सरकारी गतिविधियों पर निर्भर करती हैं। क्या आपको लगता है कि संख्या में बढ़ते मिशन मोड कार्यक्रमों के पास इसका उत्तर है? पुष्ट करें।
Answer : उत्तरः इलेक्ट्रॉनिक प्रशासन से तात्पर्य इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में विकसित हुई युक्तियों का प्रशासन में प्रयोग है। इलेक्ट्रॉनिक प्रशासन के माध्यम से सरकार और नागरिकों के बीच कम्प्यूटर नेटवर्क के जरिए सुरक्षित, विश्वसनीय और नियंत्रित संपर्क कायम किया जा सकता है। इलेक्ट्रॉनिक प्रशासन के अंतर्गत सरकारी एवं सार्वजनिक क्षेत्र के संस्थानों, कार्यालयों विभागों आदि के विषयों में सूचना एवं उनकी सेवाओं को सूचना प्रौद्योगिकी के माध्यम से जनता तक पहुंचाया जाता है।
प्रमुख उद्देश्यः
नागरिकों के लिए लाभ
Question : ई-शासन पहलें स्थानीय स्थितियों तथा निष्पादित की जाने वाली शासन गतिविधियों पर निर्भर करती हैं। लाभार्थियों तक पहुंचने हेतु हाल में किए कुछ सरकारी पहलों के प्रकाश में इसकी चर्चा करें।
Answer : उत्तरः ई-शासन से तात्पर्य प्रशासन में सूचना प्रौद्योगिकी का समन्वित प्रयोग से होता है अर्थात सरकार के समस्त कार्यों में सूचना प्रोद्योगिकी का अनुप्रयोग ई-शासन कहलाता है। ई-शासन में जनता तथा प्रशासन के बीच केवल एक क्लिक की दूरी होती है। ई-शासन को निम्न श्रेणियों में बांटा जा सकता है, जैसेः-
ई-प्रशासन के लाभ
ई-शासन में भारत सरकार की पहल