Question : अमेरिकी और ब्रिटिश सांवैधानिक योजना की तुलना में भारतीय न्यायिक प्रणाली की चर्चा करें।
Answer : उत्तरः भारतीय संविधान ने भारत में एकीकृत न्यायिक व्यवस्था की स्थापना की है, जहाँ पर एक पदसोपानक्रमिक न्याय व्यवस्था कार्य कर रही है, जिसमें उच्चतम न्यायालय सबसे ऊपरी पायदान पर तत्पश्चात् राज्यों को उच्च न्यायालय तथा अंत में जिला न्यायालय आते हैं। भारत में 1935 के एक्ट के तहत एकल न्याय व्यवस्था की स्थापना की गई थी। दूसरी तरफ अमेरिका में दो प्रकार के न्यायालय प्रचलन में है- पहला संघीय न्यायालय तथा दूसरा राज्यों के न्यायालय। यद्यपि भारत भी एक संघीय विशेषताओं वाला देश है, परंतु यहां पर कानून तथा मूल अधिकारों की एक एकीकृत व्यवस्था या प्रणाली पाई जाती है।
Question : न्याय कोई एकांतिक मूल्य नहीं है तथा उसे भी जांच एवं यहाँ तक की आम आदमी के आदरपूर्ण परन्तु स्पष्ट टिप्पणियों से गुजरना चाहिए। उपर्युक्त कथन के प्रकाश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता तथा न्यायालय के अवमानना के मध्य अंतर स्पष्ट करें।
Answer : उत्तरः भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 से 22 द्वारा नागरिकों को ‘स्वतंत्रता का अधिकार’ प्रदान किया गया है क्योंकि ये ‘व्यक्तिगत स्वतंत्रता’ को सुरक्षा प्रदान करते हैं। साथ ही, इन्हें संविधान निर्माताओं द्वारा अति महत्वपूर्ण दर्जा प्रदान किया गया है।
(iii) विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध (iv) लोकव्यवस्था
(v) शिष्टाचार और सदाचार (vi) न्यायालय की अवमानना
(vii) मानहानि (viii) अपराधों के लिए प्रोत्साहन
Question : क्या आप मानते हैं कि विधायी निर्णयों में न्यायिक हस्तक्षेप संविधान के मूलभूत ढांचा की सुरक्षा करने की बजाय एक समानांतर सरकार चलाने के लिए है। आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए।
Answer : उत्तरः ‘न्यायिक सक्रियतावाद’ को विधायिका और कार्यपालिका के अधिकार क्षेत्र में हस्तक्षेप के रूप में व्याख्यायित किया जाता है। यह मुख्यतः सरकार के अन्य अंगों की निष्क्रियता के कारण घटित होता है।
Question : संसद द्वारा पारित न्यायिक नियुक्ति आयोग विधेयक के प्रमुख लक्षणों की चर्चा करें। क्या यह देश में उच्च न्यायपालिका की भूमिका को खतरे में डालता है?
Answer : उत्तरः न्यायिक नियुक्ति आयोग बिल वर्तमान कॉलेजियम व्यवस्था की जगह लेगा। कॉलेजियम व्यवस्था में भारत के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक पैनल द्वारा जजों की नियुक्ति की जाती है।
प्रश्न: राष्ट्रीय न्यायपालिका नियुक्ति आयोग और राष्ट्रीय न्यायपालिका उत्तरदायित्व विधेयक भारतीय न्यायपालिका की सर्वोच्चता को बनाए रखने के लिए आवश्यक है। आलोचनात्मक व्याख्या करें।
उत्तरः ससंद ने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग विधेयक (The National Judicial Appointments Commission Bill, 2014) और इससे संबंधित 121वां संविधान संशोधन विधेयक 14 पारित किया गया है। 121वें संविधान विधेयक का उद्देश्य न्यायपालिका में उच्च स्तर पर न्यायाधीशों की नियुक्ति की सिफारिश करने के लिए राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग गठित करना है।
प्रस्तावित ‘राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग’ से सम्बंधित मुख्य तथ्य
पक्ष
विपक्ष
Question : लोक हित वाद (PIL) ने नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा के न्यायपालिका की शक्ति में और बढ़ोतरी कर दी है। इस संदर्भ में दिखायी गई सक्रियता तथा इसके कारण का औचित्य सिद्ध करें।
Answer : उत्तरः जनहित याचिका (लोक हित वाद) की अवधारणा लोगों के हित से जुड़ी है, हालांकि भारतीय संविधान की धारा 32 एवं 226 भी लोगों को सीधे न्यायपालिका से जोड़ती हैं, परंतु जनहित याचिका विधि की सम्यक प्रक्रिया का परिणाम है।
Question : राष्ट्रीय न्यायपालिका नियुक्ति आयोग और राष्ट्रीय न्यायपालिका उत्तरदायित्व विधेयक भारतीय न्यायपालिका की सर्वोच्चता को बनाए रखने के लिए आवश्यक है। आलोचनात्मक व्याख्या करें।
Answer : उत्तरः ससंद ने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग विधेयक (The National Judicial Appointments Commission Bill, 2014) और इससे संबंधित 121वां संविधान संशोधन विधेयक 14 पारित किया गया है। 121वें संविधान विधेयक का उद्देश्य न्यायपालिका में उच्च स्तर पर न्यायाधीशों की नियुक्ति की सिफारिश करने के लिए राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग गठित करना है।
प्रस्तावित ‘राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग’ से सम्बंधित मुख्य तथ्य
पक्ष
विपक्ष
Question : भारतीय न्यायपालिका ने आधारभूत संरचना की अपनी व्याख्या के द्वारा बिना औपचारिक संविधान संशोधन के ही संविधान का संशोधन कर दिया है। परीक्षण करें।
Answer : उत्तरः भारतीय संविधान संशोधन के सन्दर्भ में पहला मामला शंकरी प्रसाद वाद था जो 1951 में किए गए संविधान संशोधन के खिलाफ लाया गया था। शंकरी प्रसाद वाद (1951) में सर्वोच्च न्यायालय ने व्यवस्था दी कि संसद द्वारा संविधान के अनुच्छेद 368 में संशोधन की शक्ति में मौलिक अधिकारों में संशोधन की शक्ति भी निहित है।
मूल संरचना के तत्व
10.स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव
1.संविधान की सर्वोच्चता | 2.संविधान का धर्मनिरपेक्ष चरित्र |
3. संविधान का संघीय स्वरूप | 4.राष्ट्र की एकता एवं अखण्डता |
5. कल्याणकारी राज्य | 6. न्यायिक समीक्षा |
7. वैयक्तिक स्वतंत्रता एवं गरिमा | 8. संसदीय प्रणाली |
9. कानून का शासन | 10.स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव |
11. न्यायपालिका की स्वतंत्रता | 12. संविधान संशोधन की संसद की सीमित शक्ति |
13. मौलिक अधिकारों तथा नीति-निर्देशक सिद्धांतों के बीच सौहार्द्र और संतुलन |
Question : कावेरी जल विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के हालिया निर्णय की आलोचनात्मक समीक्षा करें।
Answer : उत्तरः हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने 120 साल पुराने कावेरी जल विवाद पर तमिलनाडु, कर्नाटक एवं केरल द्वारा दायर याचिका पर अपना निर्णय दिया है। अपने निर्णय में न्यायालय ने तमिलनाडु की हिस्सेदारी 192 अरब क्यूबिक फीट से घटकर 177.25 अरब क्यूबिक फीट (टीएमसी) कर दिया है। परिणामस्वरूप कर्नाटक को अब 14.75 टीएमसी पानी ज्यादा मिलेगा। अपने निर्णय में न्यायालय ने बंगलूरू की पेयजल, भूमिगत एवं अन्य औद्योगिक जरूरतों को देखते हुए 4.75 टीएमसी पानी का प्रावधान किया है। जबकि पुडुचेरी एवं केरल की हिस्सेदारी में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है।