सी-बकथॉर्न
हिमालय क्षेत्र में मुख्य रूप से पाए जाने वाले झाड़ी सी-बकथॉर्न के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
- यह पौधा मुश्किल से -430C - 400C से अत्यधिक तापमान को सहन कर सकता है और इसे सूखा सहिष्णु माना जाता है।
- इसमें वायुमंडलीय नाइट्रोजन को ठीक करने की व्यापक जड़ प्रणाली (extensive root system) है।
- यह बायोडीजल का एक समृद्ध स्रोत है।
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संदर्भ (Context): हिमाचल प्रदेश सरकार ने इस साल राज्य के ठंडे रेगिस्तानी इलाकों में सी-बकथॉर्न लगाने का फैसला किया है।
- सी-बकथॉर्न एक पारिस्थितिक और आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण पौधा है जो एलाग्नेशिया (Elaegnaceae) परिवार से संबंधित है। यह प्रजाति एक वायु परागण एकलिंगाश्रयी (wind pollinated dioecious) झाड़ी है।
- भारत में, यह हिमालय क्षेत्र में वृक्ष रेखा के ऊपर पाया जाता है, आमतौर पर शुष्क क्षेत्रों जैसे लद्दाख और स्पीति के ठंडे रेगिस्तान में।
- हिमाचल प्रदेश में, इसे स्थानीय रूप से चार्म (chharma) कहा जाता है तथा लाहौल और स्पीति व किन्नौर के कुछ जंगली हिस्सों में पाए जाता है।
- यह पौधा मुश्किल से -430C - 400C से अत्यधिक तापमान को सहन कर सकता है और इसे सूखा सहिष्णु माना जाता है।
- झाड़ी व्यापक जड़ प्रणाली (extensive root system) विकसित करती है जिसमें वायुमंडलीय नाइट्रोजन को ठीक करने की क्षमता होती है। इसलिए यह मृदा अपरदन नियंत्रण, भूमि पुनर्ग्रहण / सुधार, वन्यजीवों के आवासों के संवर्धन और समशीतोष्ण क्षेत्र (temperate region) में कृषि क्षेत्रों की सुरक्षा के लिए एक आदर्श पौधा है।
- लोक चिकित्सा के रूप में, सी-बकथॉर्न का व्यापक रूप से पेट, हृदय और त्वचा की समस्याओं के इलाज़ के लिए उपयोग किया जाता है।
- इसके फल और पत्ते विटामिन, कैरोटेनॉइड (carotenoids) और ओमेगा वसायुक्त अम्लों (omega fatty acids) से भरपूर होते हैं।
- ईंधन और चारे (पशु भोजन) का एक महत्वपूर्ण स्रोत होने के अलावा, सी-बकथॉर्न एक मिट्टी-बंधन पौधा है जो मिट्टी के कटाव को रोकता है, नदियों में गाद (siltation) की जांच करता है और पुष्प-संबंधी जैव विविधता (floral biodiversity) को संरक्षित करने में मदद करता है।
- इसका व्यावसायिक मूल्य भी है, क्योंकि इसका उपयोग रस, जैम, पोषण संबंधी कैप्सूल बनाने में किया जाता है।