भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन
निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
- भाषाई क्षेत्रों के आधार पर प्रांतीय कांग्रेस समितियों का पुनर्गठन किया गया।
- तिलक स्वरज फंड (कोष) आंदोलन को निधि देने के लिए शुरू किया गया था।
- ये इस समय काशीविद्यापीठ, गुजरात विद्यापीठ और जामिया मिलिया जैसे प्रमुख शैक्षिक केन्द्रों में अस्तित्व में थे।
उपरोक्त दिए गए कथन निम्नलिखित में से किस भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के लिए सच हैं?
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Explanation :
संदर्भ : 4 फरवरी, 2021 को चौरी चौरा कांड की 100वीं वर्षगांठ के स्मरण में – यह वह घटना जिसने गांधी को असहयोग आंदोलन वापस लेने को मज़बूर किया।
- 1,1920 अगस्त को महात्मा गांधी द्वारा शुरू किया गया असहयोग आंदोलन भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान देश भर में आयोजित पहला जन आंदोलन था।
असहयोग आंदोलन के कारण (Causes of Non-Cooperation Movement)
- जलिया वाला बाग नरसंहार और परिणामी पंजाब में अशांति (उपद्रव) का नतीज़ा
- मोंटेगू-चेम्सफोर्ड सुधार (Montagu-Chelmsford Reforms) को लेकर असंतोष
- रॉलेट एक्ट (Rowlatt Act)
- ख़िलाफ़त आंदोलन
असहयोग आंदोलन की विशेषताएं (Features of the Non-Cooperation Movement)
- यह आंदोलन अनिवार्य रूप से भारत में ब्रिटिश सरकार के ख़िलाफ़ एक शांतिपूर्ण और अहिंसक विरोध था।
- विरोध के निशान के रूप में भारतीयों को अपने पदों को त्यागने और स्थानीय निकायों में नामांकित सीटों से इस्तीफ़ा देने के लिए कहा गया।
- लोगों को उनकी सरकारी नौकरियों से इस्तीफ़ा देने के लिए कहा गया।
- लोगों को उनके बच्चों को सरकार द्वारा नियंत्रित या सहायता प्राप्त स्कूलों और कॉलेजों से वापस लेने के लिए कहा गया था।
- लोगों से कहा गया कि वे विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करें और केवल भारतीय निर्मित वस्तुओं का उपयोग करें।
- लोगों को विधान परिषदों के चुनावों का बहिष्कार करने के लिए कहा गया।
- लोगों को ब्रिटिश सेना में सेवा / नौकरी नहीं देने के लिए कहा गया।
- यह भी योजना बनाई गई थी कि यदि उपरोक्त क़दम परिणाम नहीं लाते हैं, तो लोग अपने करों का भुगतान करने से इंकार कर देंगे।
- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने स्वराज्य या स्व-शासन की भी मांग की।
- मांगों को पूरा करने के लिए केवल पूरी तरह से अहिंसक साधनों को नियोजित किया जाएगा।
असहयोग आंदोलन को क्यों निलंबित किया / रोक दिया गया (Why was the Non-Cooperation Movement suspended)?
- गांधी जी ने चौरीचौरा घटना के मद्देनजर फरवरी 1922 में असहयोग आंदोलन को समाप्त कर दिया।
- उत्तर प्रदेश के चौरीचौरा में पुलिस और आंदोलनकारियों के बीच झड़प के दौरान हिंसक भीड़ ने एक पुलिस स्टेशन में आग लगा दी, जिसमें 22 पुलिसकर्मियों की मौत हो गई।
- गांधीजी ने आंदोलन को यह कहते हुए समाप्त कर दिया कि लोग अहिंसा के माध्यम से सरकार के ख़िलाफ़ विद्रोह के लिए तैयार नहीं हैं।
- मोतीलाल नेहरू और सी. आर. दास जैसे कई नेता केवल हिंसा की छिटपुट घटनाओं के कारण आंदोलन को स्थगित करने के ख़िलाफ़ थे।