एशियाई वाटर बर्ड सेंसस
निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
- भारत में एशियाई वाटर बर्ड सेंसस (AWC) भारतीय वन्यजीव संस्थान द्वारा समन्वित है।
- ऐसी कोई भी आर्द्रभूमि जहां लगातार 1% या उससे अधिक जलीय पक्षी रहते हैं, रामसर कन्वेंशन के तहत अंतर्राष्ट्रीय महत्व के लिए एक आर्द्रभूमि के रूप में अर्हता प्राप्त हो सकती है।
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Explanation :
एशियाई वाटर बर्ड सेंसस (AWC) एक अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम है जो कि जलीय पक्षियों और आर्द्रभूमि की स्थिति की निगरानी पर केंद्रित है। इसका उद्देश्य आर्द्रभूमि और जलीय पक्षियों के संरक्षण से संबंधित मुद्दों पर जन जागरूकता बढ़ाना भी है।
- भारत में एशियाई वाटर बर्ड सेंसस (AWC) को प्रतिवर्ष बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी (BNHS) और वेटलैंड्स इंटरनेशनल द्वारा समन्वित किया जाता है।
- एशियाई वाटर बर्ड सेंसस (AWC) एक वैश्विक परियोजना 'अंतरराष्ट्रीय वॉटरबर्ड सेंसस कार्यक्रम' का हिस्सा है, जिसे प्रतिवर्ष जनवरी में पूरा किया जाता है।
- ऐसी कोई भी आर्द्रभूमि जहां लगातार 1% या उससे अधिक जलीय पक्षी रहते हैं, रामसर कन्वेंशन के तहत अंतर्राष्ट्रीय महत्व के लिए एक आर्द्रभूमि के रूप में अर्हता प्राप्त हो सकती है।
- बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी (BNHS):
वर्ष 1883 में स्थापित बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी (BNHS) एक गैर सरकारी संगठन (NGO) है और यह संरक्षण एवं जैव विविधता अनुसंधान में संलग्न है। भारत में बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी (BNHS) बर्ड लाइफ इंटरनेशनल का भागीदार है और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा इसे एक 'वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान संगठन' के रूप में नामित किया गया है।
समाचार का महत्व:
हाल ही में ऊपरी कुट्टनाड क्षेत्र में संचालित एशियाई वाटर बर्ड सेंसस (AWC) के दौरान 47 महाद्वीपीय और स्थानीय प्रजातियों के 16,767 पक्षी दर्ज किए गए हैं। इस वर्ष के सर्वेक्षण में ग्रेटर फ्लेमिंगो, ग्रे-हेडेड लैपविंग और ब्लू चीक बी ईटर जैसी तीन नई प्रजातियों को भी देखा गया है।
स्रोत: द हिन्दू