नीति आयोग का सतत विकास लक्ष्य सूचकांक
- 31 Dec 2019
30 दिसंबर, 2019 को नीति आयोग ने सतत विकास लक्ष्य (Sustainable Development Goal - SDG) भारत सूचकांक का दूसरा संस्करण लॉन्च किया, जो 2030 SDG लक्ष्यों को की प्राप्ति की दिशा में भारत के राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा की गई प्रगति का व्यापक दस्तावेज है।
उद्देश्य
- सहकारी संघवाद के ढांचे के अंतर्गत राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा और अनुसरण (emulation) को बढ़ावा देना।
SDG सूचकांक
- 2018 में पहली बार विकसित SDG भारत सूचकांक सतत विकास लक्ष्यों पर उप-राष्ट्रीय स्तर पर उपलब्धियों को प्रस्तुत करने का एक प्रयास था।
- इस सूचकांक को सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI), संयुक्त राष्ट्र (भारत) और ग्लोबल ग्रीन ग्रोथ इंस्टीट्यूट के सहयोग से विकसित किया गया है।
- SDG सूचकांक-2018 13 लक्ष्यों पर आधारित था, जबकि SDG सूचकांक-2019 राष्ट्रीय चिन्हित संकेतकों के आधार पर 100 संकेतकों के बीच फैले 54 लक्ष्यों में से 16 लक्ष्यों पर आधारित है और एसडीजी राष्ट्रीय संकेतक फ्रेमवर्क के साथ भी बेहतर रूप से संरेखित है।
- 16 सतत विकास लक्ष्यों के समग्र प्रदर्शन के आधार पर प्रत्येक राज्य/केंद्रशासित प्रदेशों के लिए 0-100 की श्रेणी में एक समग्र स्कोर की गणना की गई, जो 16 SDG और उनके संबंधित लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में प्रत्येक राज्य/केन्द्रशासित प्रदेश के औसत प्रदर्शन को दर्शाता है। यदि कोई राज्य/केंद्रशासित प्रदेश 100 का स्कोर प्राप्त करता है,तो यह दर्शाता है कि उसने 2030 तक के राष्ट्रीय लक्ष्य हासिल किए हैं। राज्य/केंद्रशासित प्रदेश का स्कोर जितना अधिक होगा, वह लक्ष्य प्राप्ति के उतने ही निकट होगा।
- SDG भारत सूचकांक स्कोर के आधार पर वर्गीकरण मानदंड इस प्रकार है:
- आकांक्षी (Aspirant): 0–49
- परफॉर्मर (Performer): 50-64
- फ्रंट रनर (Front Runner): 65–99
- अचीवर (Achiever): 100
प्रमुख बिंदु
SDG में भारत का समग्र प्रदर्शन
- जल एवं स्वच्छता, बिजली और उद्योग में बड़ी सफलता के साथ भारत के समग्र स्कोर में 2018 में 57 से 2019-20 में 60 तक सुधार हुआ।
- गरीबी के मामले में भारत की रैंकिंग 2018 में 54 अंक से गिरकर 2019 में 50 अंक हो गई है।
- लक्ष्य 6 (स्वच्छ जल और स्वच्छता), 9 (उद्योग, नवाचार, और बुनियादी ढांचे) और 7 (वहनीय और स्वच्छ ऊर्जा) में अधिकतम लाभ हुआ है।
- विशेष रूप से दो लक्ष्यों - लैंगिक समानता और शून्य भूख – पर कहीं अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है क्योंकि दोनों लक्ष्यो में देश का स्कोर 50 से कम है।
- इसके अलावा, आर्थिक विकास के मामले में भारत का स्कोर 65 से 64 तक एक स्थान नीचे खिसक गया है।
राज्य एवं केंद्र-शासित प्रदेशों का प्रदर्शन
- केरल (70), हिमाचल प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और तेलंगाना बेहतर प्रदर्शन करने वाले राज्य हैं।
- बिहार (50), झारखंड, अरुणाचल प्रदेश ,मेघालय और उत्तर प्रदेश सबसे नीचे के राज्य हैं।
- केंद्र-शासित प्रदेशों में चंडीगढ़ ने 70 के स्कोर के साथ अपना शीर्ष स्थान बनाए रखा है।
- उत्तर प्रदेश, ओडिशा और सिक्किम ने अधिकतम सुधार दिखाया है, लेकिन गुजरात जैसे राज्यों ने 2018 की रैंकिंग की तुलना में कोई प्रगति नहीं दिखाई है।
- 2019 सूचकांक में, पांच और राज्यों को फ्रंट रनर श्रेणी में शामिल किया गया- आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक,सिक्किम और गोवा।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
शीर्ष 12 राज्य
राज्य स्कोर
केरल 70
हिमाचल प्रदेश 69
आंध्र प्रदेश 67
तमिलनाडु 67
तेलंगाना 67
कर्नाटक 66
गोवा 65
सिक्किम 65
गुजरात 64
महाराष्ट्र 64
उत्तराखंड 64
पंजाब 62
नीचे से शीर्ष 5 राज्य
बिहार 50
झारखंड 53
अरुणाचल प्रदेश 53
मेघालय 54
उत्तर प्रदेश, असम 55
शीर्ष 5 केंद्र-शासित प्रदेश
चंडीगढ़ 70
पुडुचेरी 66
दादरा व नागर हवेली 63
लक्षद्वीप 63
दिल्ली, अंडमान व निकोबार द्वीप समूह, दमन व दीव 61
लक्ष्य-वार शीर्ष राज्य/केंद्र- शासित प्रदेश |
||
लक्ष्य 1 |
गरीबी हटाना |
तमिलनाडु, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख |
लक्ष्य 2 |
शून्य भूखमरी |
गोवा और चंडीगढ़ |
लक्ष्य 3 |
अच्छा स्वास्थ्य और आरोग्य |
केरल और पुडुचेरी |
लक्ष्य 4 |
गुणवत्तापरक शिक्षा |
हिमाचल प्रदेश और चंडीगढ़ |
लक्ष्य 5 |
लैंगिक समानता |
हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख |
लक्ष्य 6 |
स्वच्छ जल एवं सफाई |
आंध्र-प्रदेश और चंडीगढ़ |
लक्ष्य 7 |
वहनीय एवं स्वच्छ ऊर्जा |
सिक्किम और पुडुचेरी |
लक्ष्य 8 |
उचित कार्य एवं आर्थिक विकास |
तेलंगाना और चंडीगढ़ |
लक्ष्य 9 |
उद्योग, नवाचार एवं अवसंरचना |
केरल, गुजरात, दमन व दीव, दिल्ली और दादरा व नागर हवेली |
लक्ष्य 10 |
असमानता में कमी |
तेलंगाना और अंडमान व निकोबार द्वीप समूह |
लक्ष्य 11 |
सतत शहर एवं समुदाय |
हिमाचल प्रदेश, गोवा और चंडीगढ़ |
लक्ष्य 12 |
सतत उपभोग एवं उत्पादन |
नागालैंड और चंडीगढ़ |
लक्ष्य 13 |
जलवायु कार्यवाही |
कर्नाटक और लक्षद्वीप |
लक्ष्य 14 |
पानी के अन्दर जीवन |
कर्नाटक |
लक्ष्य 15 |
भूमि पर जीवन |
सिक्किम, मणिपुर, दादरा व नागर हवेली और लक्षद्वीप |
लक्ष्य 16 |
शांति, न्याय एवं मजबूत संस्थान |
गुजरात, आंध्रप्रदेश और पुडुचेरी |
स्रोत: नीति आयोग
सूचकांक की महत्ता
- मूल्यांकन का साधन: सूचकांक SDG एजेंडा को अपनाने और लागू करने में राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों की प्रगति को जांचने के लिए एक उपयोगी साधन के रूप में कार्य करता है, जहां प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेश सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने का प्रयास करते हैं।
- प्राथमिकता वाले क्षेत्रों की पहचान में मदद: यह उप-राष्ट्रीय स्तर पर SDG प्रगति को मापने के लिए एक मजबूत फ्रेमवर्क प्रस्तुत करता है और ऐसे प्राथमिकता वाले क्षेत्रों की पहचान करने के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को प्रोत्साहित करता है, जिसमें उन्हें निवेश और सुधार करने की आवश्यकता होती है।
- बेहतर रणनीति तैयार करना: यह राज्यों को प्रदर्शन में भिन्नता के कारणों को सुलझाने और 2030 तक SDG प्राप्त करने के लिए बेहतर रणनीति तैयार करने में मदद करेगा।
- सरकार के मिशन के साथ जुड़ाव: सूचकांक SDG को सरकार के ‘सबका साथ, सबका विकास,सबका विश्वास’ के आह्वान के साथ जोड़ने हेतु एक सेतु के रूप में कार्य करता है, जोकि वैश्विक SDG आंदोलन के पांच P’s लोग, ग्रह , समृद्धि , साझेदारी और शांति का प्रतीक है।
सूचकांक की सीमाएं
|
आगे की राह
- भारत, विश्व की 17 प्रतिशत आबादी के साथ, विकास के कई क्षेत्रों में कई चुनौतियों का सामना करता है, चाहे वह स्वास्थ्य, पोषण, शिक्षा, स्वच्छता और बुनियादी ढांचा हो। हालांकि, ये चुनौतियां भारत को इनके अभिनव समाधान विकसित करने के लिए भी अनुकूल बनाती हैं और विश्व के अन्य हिस्सों में भी इसी तरह की समस्याओं को हल करने के लिए एक उपयोगी दृष्टिकोण प्रदान करती हैं।
- भारत निर्धारित समयसीमा के भीतर वैश्विक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। देश इस बात से पूरी तरह वाकिफ है कि यदि भारत SDG को पूरा नहीं करता है, तो विश्व उन्हें हासिल करने से दूर होगा।
- इस दिशा में, SDG सूचकांक एक शक्तिशाली साधन है, जो राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को ऐसे प्राथमिकता वाले क्षेत्रों की पहचान करने की उत्कृष्ट संभावनाएं प्रदान करते हैं, जो कार्रवाई की मांग करते हैं ,सीखने की सुविधा देते हैं, आंकड़ों के अंतर को उजागर करते हैं।