मानव विकास रिपोर्ट - 2019
- 17 Dec 2019
- 9 दिसंबर, 2019 को संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) ने मानव विकास रिपोर्ट (HDR), 2019 जारी की।
- इसका शीर्षक"आय से परे, औसत से परे, आज से परे: 21 वीं सदी में मानव विकास में असमानताएं" रखा गया है,इसके अनुसार लाखों लोगों के लिए बुनियादी जीवन स्तर के अंतर में कमी हो रही है और उन्नति करने की ललक बढती जा रही हैं।
- 2019 की रिपोर्ट मानव विकास से सम्बंधित सभी सूचकांकों को प्रतिधारित करना है जिनमे शामिल है; मानव संसाधन विकास सूचकांक (HDI), असमानता अन्याय मानव विकास सूचकांक (IHDI), लैंगिक विकास सूचकांक (GDI), लैंगिक असमानता सूचकांक (GII) और बहुआयामी गरीबी सूचकांक (MPI)।
प्रमुख निष्कर्ष
बेहतरीनव खराब प्रदर्शन करने वाला
- मानव विकास सूचकांक (HDI) में नॉर्वे, स्विट्जरलैंड, आयरलैंड ने क्रमशः शीर्ष तीन स्थान पर प्राप्त किया है ।
- जर्मनी को हांगकांग के साथ चौथे स्थान पर रखा गया है, और ऑस्ट्रेलिया ने वैश्विक रैंकिंग में पांचवीं रैंक हासिल की है।
- जबकि, नाइजर, मध्य अफ्रीकी गणराज्य, दक्षिण सूडान, चाड और बुरुंडी को HDI के स्वास्थ्य, शिक्षा और आय में राष्ट्रीय उपलब्धियों के आधार पर सबसे कम अंक हैं।
भारत व उसके पड़ोसी देशों का प्रदर्शन
- HDI, 2019 में भारत 189 देशों में से 129 वें स्थान पर है, पिछले साल यानी 2018 में 130वें स्थान से एक स्थान ऊपर है।
- 1990 से 2018 के बीच, भारत के HDI मान में 50 प्रतिशत (431 से 0.647) की वृद्धि हुई, जो इसे मध्यम मानव विकास समूह (0.634) में शामिल करता है।
- भारत के पड़ोसी देशों में, श्रीलंका (71) और चीन (85) रैंक में ऊपर हैं, जबकि भूटान (134), बांग्लादेश (135), म्यांमार (145), नेपाल (147), पाकिस्तान (152) और अफगानिस्तान (170) ) सूची में निचले स्थान पर है।
- लैंगिक असमानता सूचकांक (GII) में भारत 162 देशों में से 122 पर है। चीन (39), श्रीलंका (86), भूटान (99), म्यांमार (106) को भारत से ऊपर रखा गया।
स्रोत:TOI
क्षेत्रीय प्रदर्शन
- रिपोर्ट के अनुसार, 1990-2018 में दक्षिण एशिया मानव विकास की प्रगति में सबसे तेजी से बढ़ने वाला क्षेत्र था, इसके बाद पूर्वी एशिया और प्रशांत क्षेत्र में 43% की वृद्धि हुई।
रिपोर्ट की महत्ता
- असमानताओं पर फोकस: HDR, 2019 महत्वपूर्ण है क्योंकि यह विकास में असमानताओं पर केंद्रित है। यह असमान जीवन के अवसरों को आकार देने वाले कारकों की बहुत व्यापक समझ प्रदान करता है।
- असमानताओं की नई पीढ़ी की शुरुआत: रिपोर्ट आगाह करता है कि असमानताओं के नए रूप भविष्य में जलवायु परिवर्तन और तकनीकी परिवर्तन के माध्यम से प्रकट होंगे जो मौजूदा सामाजिक और आर्थिक विभाजन को गहरा करने की क्षमता रखते हैं।
- सतत विकास लक्ष्य (SDG) अभी भी बहुत दूर: संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों के अनुसार विश्व 2030 तक लैंगिक समानता प्राप्त करने के लिए ट्रैक पर नहीं है। वर्तमान विकास परिदृश्य के साथ, आर्थिक अवसर में लैंगिक असमानता को ख़त्म करने में 202 वर्ष लग सकते हैं।
- लैंगिक असमानता पर फोकस: रिपोर्ट एक नया सूचकांक प्रस्तुत करती है जो यह बताता है कि पूर्वाग्रह और सामाजिक मान्यताएँ लैंगिक समानता को कैसे बाधित करती हैं, जिससे पता चलता है कि विश्व भर में केवल 14% महिलाओं और 10% पुरुषों में कोई लैंगिक पूर्वाग्रह नहीं है।
मानव विकास सूचकांक (एचडीआई)
- HDI एक सांख्यिकीय साधन है जिसका उपयोग किसी देश की सामाजिक और आर्थिक आयामों में समग्र उपलब्धि को मापने के लिए किया जाता है। इस सूचकांक में उच्च रैंक वाले राष्ट्रों में कम स्कोर वाले राष्ट्रों की तुलना में उच्च स्तर की शिक्षा, उच्च जीवन काल, और प्रति व्यक्ति अधिक सकल राष्ट्रीय आय है।
- HDI को पहली बार 1990 में लॉन्च किया गया था और 2012को छोड़कर इसे सालाना जारी किया जाता है।
संकेतक
- दीर्घजीवन: यह जन्म के समय जीवन प्रत्याशा द्वारा मापा जाता है। जन्म के समय जीवन प्रत्याशा का मतलब है कि नवजात शिशु के कितने साल तक इस दुनिया में जीवित रहने की उम्मीद है। यह मानव विकास सूचकांक (एचडीआई) में स्वास्थ्य के तत्व का प्रतिनिधित्व करता है।
- शिक्षा या ज्ञान: यह वयस्क साक्षरता और स्कूली शिक्षा के औसत वर्षों के भारित औसत द्वारा मापा जाता है। इसके लिए दो-तिहाई महत्व वयस्क साक्षरता को दिया जाता है और एक-तिहाई महत्व स्कूली शिक्षा के औसत वर्षों को दिया जाता है।
- जीवन स्तर: यह किसी देश की वास्तविक प्रति व्यक्ति आय को क्रय शक्ति समानता (पीपीपी) की कीमतों पर मापा जाता है, जिसे विभिन्न देशों की मुद्राओं की क्रय शक्ति के साथ समायोजित किया जाता है।
महत्ता
- HDI किसी देश के विकास के स्तर का ट्रैक रखने का सबसे अच्छा साधन है, क्योंकि यह सभी प्रमुख सामाजिक और आर्थिक संकेतकों को दर्शाता है जो आर्थिक विकास के लिए जिम्मेदार हैं।
कमियां
- यह कई कारकों को हटा देता है जो जीवन की गुणवत्ता पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकते हैं, जैसे पर्यावरणीय निम्नीकरण। उदाहरण के लिए, औद्योगिक प्रदूषण और वनों की कटाई, जटिल स्वास्थ्य समस्याओं (जैसे लसीका फाइलेरिया) या मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों को |यह जरूरी नहीं कि इनसे मृत्यु दर पर प्रभाव पड़े लेकिन किसी व्यक्ति के जीवनयापन की गुणवत्ता को खराब कर सकती हैं।
- दूसरी ओर, साक्षरता दर का अनुमान लगाने के लिए, आरंभिक उम्र में बच्चों द्वारा स्कूली शिक्षा के वर्षों का उपयोग किया जाता है, जो कि साक्षरता दर की सही गणना प्रदर्शित नहीं करता है |प्राथमिक स्कूल में शामिल होने वाले कई बच्चे बाद में किसी न किसी स्तर पर शिक्षा प्राप्ति से वंचित हो जाते हैं।
- इसके अलावा, मानव विकास सूचकांक अभी भी सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक स्वतंत्रता और मानव अधिकारों को गणना में शामिल नहीं करता है।