सुप्रीम कोर्ट ने नोटा पर याचिका पर केंद्र से मांगा जवाब
- 17 Mar 2021
मार्च 2021 में, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार तथा भारत के निर्वाचन आयोग से अदालत में दायर उस याचिका पर प्रत्युत्तर देने को कहा है, जिसमें, नोटा (उपरोक्त में से कोई भी नहीं) (None of the above- NOTA ) के पक्ष में सर्वाधिक मतदान होने वाले निर्वाचन क्षेत्रों में फिर से चुनाव कराए जाने की मांग की गई है।
महत्वपूर्ण तथ्य: याचिकाकर्ता ने मांग की है कि मतदाताओं द्वारा ‘अस्वीकृत’ किए गए उम्मीदवारों को फिर से नए चुनाव में नहीं उतारा जाना चाहिए।
- मतदाताओं को ‘अस्वीकार करने का अधिकार’ (right to reject) प्रदान किया जाना चाहिए। यह प्रावधान मतदाताओं को उम्मीदवारों को चुनने के लिए बेहतर विकल्प प्रदान करेगा।
- सुप्रीम कोर्ट के अनुसार यदि मतदाता, उम्मीदवारों को खारिज करते रहे, तो संसद / विधान सभा की सीटें खाली रह जाएंगी, जिससे विधायी कामकाज प्रभावित होगा।
- सुप्रीम कोर्ट द्वारा वर्ष 2013 में लोक सभा और विधान सभा चुनावों के लिए NOTA का विकल्प निर्धारित किया गया था।
- उच्चतम न्यायालय ने वर्ष 2018 में कहा था, कि NOTA का विकल्प केवल सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार तथा प्रत्यक्ष चुनावों के लिए उपलब्ध है, न कि एकल हस्तांतरणीय मत द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के लिए। अतः राज्य सभा निर्वाचन हेतु NOTA का विकल्प नहीं है।
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