टॉरफिकेशन टेक्नोलॉजी
- 05 Dec 2019
- सर्दियों में उत्तर भारत में हवा की गुणवत्ता में तेज गिरावट देखी जाती है | इसमें परली जलाने से निकलने वाले प्रदूषण का महत्वपूर्ण योगदान है। वर्तमान में,भारत एक स्वीडिश तकनीक - टॉरफिकेशन का परीक्षण कर रहा है, जो चावल के ठूंठ को जैव-कोयला में बदल सकता है।
- बायोएंडेव (स्वीडिश कंपनी) के साथ मिलकर भारत सरकार ने प्रौद्योगिकी की व्यवहार्यता का मूल्यांकन कर रहा है | पंजाब के मोहाली में राष्ट्रीय कृषि-खाद्य जैव प्रौद्योगिकी संस्थान में एक पायलट संयंत्र स्थापित किया जा रहा है जिसके लिए वित्त पोषण किया जा चुका है।
टॉरफिकेशन टेक्नोलॉजी क्या है?
- टॉरफिकेशन टेक्नोलॉजी, 200-300°C एवं कम ऑक्सीजन की उपस्थिति में थर्मोकैमिकल प्री-ट्रीटमेंट प्रक्रिया है, जो बायोमास को ठोस बायो-ईंधन (कोयला जैसी छर्रों) में बदल देता है।
- टॉरफिकेशन टेक्नोलॉजी विभिन्न प्रकार के बायोमास को संसाधित करने में सक्षम बनाती है:
- वुडी बायोमास
- फॉरेस्ट अवशिष्ट
- सॉ मिल अवशिष्ट (जैसे सॉ, धूल, चिप्स, छाल)
- पुआल, घास
पैरामीटर
- टॉरफिकेशनप्रक्रिया को प्रभावित करने वाले विभिन्न पैरामीटर हैं:
- प्रतिक्रिया तापमान,
- तापक दर,
- ऑक्सीजन की अनुपस्थिति,
- निवास समय,
- परिवेश दबाव,
- लचीला फीडस्टॉक,
- फीडस्टॉक नमी, और
- फीडस्टॉक कण आकार।
प्रक्रिया
- जैव-कोयला उत्पन्न करने के लिए टॉरफिकेशनमें लिग्नोसेल्युलोज घटकों का अवमूल्यन, अपचयन और अपघटन किया जाता है।
- इस प्रक्रिया के दौरान, द्रव्यमान का 70% एक ठोस उत्पाद के रूप में बनाए रखा जाता है, और 90% प्रारंभिक ऊर्जा सामग्री को बरकरार रखता है।
टॉरफिकेशनके अंतिम उत्पाद
- तीन अलग-अलग उत्पादों का उत्पादन किया जाता है:
- भूरा से काली एकसमान ठोस बायोमास, जिसका उपयोग जैव ऊर्जा अनुप्रयोगों के लिए किया जाता है,
- पानी, एसिटिक एसिड, एल्डीहाइड, अल्कोहल, और केटोन्स युक्त संघननशील वाष्पशील कार्बनिक यौगिक,
- छोटी मात्रा कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड और मीथेन जैसे गैर-संघननशील गैसें।
जैव कोयला
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लाभ
आर्थिक
- टॉरफाइड बायोमास को दहन के लिए एक बेहतर ठोस ईंधन माना जाता है, विशेषकर जब इसके उच्च ऊर्जा घनत्व और कोयले जैसी हैंडलिंग गुणों के कारण कोयले के साथ सह-प्रज्वलित किया जाता है। आमतौर पर टॉरफिकेशन के दौरान, 70% द्रव्यमान को एक ठोस उत्पाद के रूप में रखा जाता है, जिसमें 90% प्रारंभिक ऊर्जा सामग्री होती है।
- टॉरफिकेशनदहनशील गैसों को छोड़ता है जिनका उपयोग आवश्यक ऊष्मा उत्पन्न करने के लिए किया जा सकता है या इस पूरी प्रक्रिया को शक्ति प्रदान करने के लिए उपयोग किया जा सकता है।
- यह कुछ कठिनाइयों को सामना करता है जो कम ऊर्जा घनत्व और उच्च जल सामग्रीवाले बायोमास फीडस्टॉक के बड़े पैमाने पर उपयोग में बाधा उत्पन्न की है।
- टॉरफाइडउत्पाद मूल बायोमास सामग्री की तुलना में स्थिर, भंगुर, पीसने में आसान होता है इसके अलावां इसकेभंडारण में कम जैविक अवनतिहोती है।
- उच्च ऊर्जा घनत्व के कारण इनका उत्पादन एवं उपयोग आर्थिक रूप से व्यवहार्य है। पेरालाइज़िंग के माध्यम से परिवहन लागत को कमकिया जा सकता है |लंबी ढुलाई के लिएखुले रेल कार और समुद्री जहाज उपयुक्त है।
कोयले की तुलना में टॉरफाइड बायोमास ईट के लाभ |
सामान्य बायोमास की तुलना में टॉरफाइड बायोमास ईट के लाभ |
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पर्यावरण
- टॉरफिकेशन प्रक्रिया का मुख्य लाभ यह है कि यह कोयले के समान हैऔर इसका उपयोग विभिन्न ऊर्जा इकाइयों में कोयला प्रतिस्थापन के लिए किया जा सकता हैजिससे पर्यावरण एवं पारिस्थितिकपर कुल नकारात्मक प्रभाव कम होगा ।
आगे की राह
- जीवाश्म ईंधन के प्रतिस्थापन के रूप में बायोमास का उपयोग कई मुद्दों की ओर ले जाती है, जैसे कि अत्यधिक कटाई और सीमित वृक्षारोपण के कारण उनकी कीमत और पर्यावरणीय परिणामों में वृद्धि होती है |इस कारण वनों की कटाई होती है और जैव विविधता में कमी आती है।
- बायोमास की व्यापक खपत पानी और मिट्टी की गुणवत्ता पर नकारात्मक प्रभाव डालता है |यहविभिन्न पारिस्थितिकी प्रणालियों को प्रभावित करखाद्य श्रृंखलाओं को प्रभावित कर सकता है।
- हालांकि, बायोमास का टॉरफिकेशन एक आदर्श प्रक्रिया साबित हुई है क्योंकि यह ऊर्जा स्रोत जीवाश्म ईंधन के उपयोग का एक अच्छा विकल्प साबित हुआ है।