‘कंफ्रंटिंग कार्बन इनइक्वालिटी’ रिपोर्ट
- 06 Oct 2020
- ऑक्सफैम इंटरनेशनल (Oxfam International) और स्टॉकहोम एन्वायरनमेंटल इंस्टीट्यूट (Stockholm Environmental Institute- SEI) के रिपोर्ट के अनुसार, हाल के दशको में कार्बन के उत्सर्जन के मामले में बहुत बड़ा अंतर देखा गया है जो जलवायु संकट का मुख्य करण है।
- इसके साथ, कार्बन उत्सर्जन के मामले में विश्व के 1% सबसे अमीर (Richest) लोग 50% सबसे गरीब (Poorest) लोगों से अधिक उत्तरदायी हैं।
- वर्ष 1990-2015 तक के आकड़ों के आधार पर आईइस रिपोर्ट का नाम ‘कंफ्रंटिंग कार्बन इनइक्वालिटी’ (Confronting Carbon Inequality)है।
प्रमुख निष्कर्ष
कार्बन के चरमोत्सर्जन का काल
- साल 1990 से 2015 तक के 25 वर्षों के दौरान जलवायु संकट में तीव्र वृद्धि हुई है, इस कालखंड में वैश्विक वार्षिक कार्बन उत्सर्जन में 60% तक की वृद्धि देखी गयी है।
- इस उत्सर्जन के लिये उत्तरदायी विश्व के 10% (वैश्विक उत्सर्जन का 24.5%) सबसे अमीर लोगों में से आधे लोग उत्तरी अमेरिका और यूरोपीय संघ (European Union- EU) के देशों से संबंधित हैं। इसके साथ साथ भारत और चीन के नागरिककार्बन के कुल उत्सर्जन का पांचवें हिस्से (वैश्विक उत्सर्जन का 9.2%) के लिए उत्तरदायी हैं।
- विश्व के 10% सबसे अमीर लोग 31% कार्बन बजट (Carbon Budget) के अवक्षय (Depletion) के लिये उत्तरदायी रहे हैं,जबकि इसमें विश्व के सबसे ग़रीब वर्ग के 50% लोगों की भूमिका मात्र 4% ही थी।
- विश्व के सबसे ग़रीब वर्ग के 50% लोग सिर्फ़ 7% संचयी उत्सर्जन के लिए जिम्मेवार थें।
कार्बन असमानता विश्व कोजलवायु संकट की ओर ले रही है
- दुनिया के सबसे ग़रीब 3.5 बिलियन लोगों का कार्बन उत्सर्जन में योगदान बहुत कम है, जबकिये बाढ़, तूफान और सूखे जैसे जलवायु प्रभावों से सर्वाधिक प्रभावित होते हैं।
- अत्यधिक कार्बन असमानता पिछले 20-30 वर्षों में किए गए राजनीतिक निर्णयों का परिणाम है।
- यह हमारी सरकारों के दशकों के एक लंबे असमान और कार्बन सघन आर्थिक विकास का प्रत्यक्ष परिणाम है।
असमान विकास और न्याय
- असमान आर्थिक वृद्धि से ग़रीबी में कमी की दरधीमी हो जाती है
- असमान विकास का एक और आशय (Implication) है: वैश्विक कार्बन बजट का तीव्रगति से व्यय,एक सभ्यमानक जीवन जीने के लिए समग्र मानवता के स्तर को उठाने के उद्देश्य से नहीं, बल्कि काफ़ी हद तक दुनिया भर के अल्पसंख्यक अमीरों की खपत का विस्तार करने के लिए किया जा रहा है।
- इस रिपोर्ट में नस्ल, वर्ग, लिंग, जाति और उम्र जैसे कारकों के साथ आय असमानता तथा जलवायु संकट के संबंधों को भी स्वीकार किया गया।
कार्बन असमानता से निपटारा
- 2030 तक प्रति व्यक्ति फुटप्रिंट को 1.5°C-सुसंगत स्तर तक कम करने से वार्षिक कार्बन उत्सर्जन में एक तिहाई से अधिक की कटौती होगी।
COVID-19 से आर्थिक सुधार के लिए सिफारिशें
- वर्तमान में लागू किए गए सही सार्वजनिक नीतिगत उपाय कार्बन उत्सर्जन कम करके स्वस्थ, अधिक सामंजस्यपूर्ण और लचीला समाज निर्मित कर सकते हैं।
- स्थायी नवीकरणीय स्रोतों में ऊर्जा आपूर्ति को तेजी से स्थानांतरित करने के लिए आवश्यक उपायों के अलावा, सरकारों को निम्नलिखित पर विचार करना चाहिए:
- सार्वभौमिक सामाजिक सेवाओं के विस्तार के लिए संपत्ति करों (Wealth Taxes), विलासिता कार्बन करों (Luxury Carbon Taxes) और व्यापक प्रगतिशील कार्बन मूल्य निर्धारण (wider progressive carbon pricing)
- विमान के ईंधनों की कर-मुक्त स्थिति और कंपनी कारों के लिए टैक्स ब्रेकको समाप्त करना
- उचित नौकरी की गारंटी देने के लिए सार्वजनिक निवेश
- कंपनी की अल्पकालिकता को कम करने के लिए कॉर्पोरेट प्रशासन को बदलना
- कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए विज्ञान आधारित और निष्पक्षता के साथराष्ट्रीय लक्ष्य निर्धारित करना
- सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) से परे हटकर आर्थिक प्रगति के लिंग-परिवर्तनकारी संकेतकों का एक व्यापक सेट विकसित करना, जैसे कि न्यूजीलैंड का स्वास्थ्य बजट
- प्रभावित उद्योगों, महिलाओं, निम्न-आय और हाशिए वाले समूहों में श्रमिकों की भलाई सुनिश्चित करने के लिए सभी स्तरों पर सामाजिक संवाद के सिद्धांतों को शामिल करना।