अटलांटिक महासागर में माइक्रोप्लास्टिक प्रदूषण

  • 20 Aug 2020

  • बहु-विषयक वैज्ञानिक शोध पत्रिका “नेचर कम्युनिकेशंस (Nature Communications)” में प्रकाशित एक नए अध्ययन के अनुसार, अटलांटिक महासागर में 1.16-2.11 करोड़ टन माइक्रोप्लास्टिक प्रदूषक होने का अनुमान लगाया है।

मुख्य निष्कर्ष

  • वैज्ञानिकों ने अध्ययन में पाया कि तीन प्रकार के प्लास्टिक: पॉलीइथाइलीन, पॉलीप्रोपाइलीन और पॉलीस्टाइनिन अटलांटिक महासागर के प्रदूषण के प्रमुख कारण हैं। ये तीन प्रकार के प्लास्टिक पैकेजिंग के लिए सबसे अधिक उपयोग किए जाते हैं।
  • इन तीन प्रदूषकों की समुद्र में 200 मीटर की गहराई तक निलंबित मात्रा के आधार पर अटलांटिक महासागर में प्लास्टिक प्रदूषण का अनुमान लगाया गया है।
  • छोटे प्लास्टिक के कण बड़े ख़तरनाक होते हैं, क्योंकि उनके लिए अधिक से अधिक समुद्र की गहराई में डूबना आसान होता है।इससे सुमद्र के निचले तल में रहने वाले कुछ समुद्री प्रजातियों जैसे कि ज़ूप्लैंकटनके भोजन अथवा खाद्य श्रृंखला में प्रवेश करना आसान हो जाता है, दरअसल सुमद्र के निचले तल में रहने वाले जीव छोटे कणों को भोजन के रूप में अत्यधिकतरजीह देते हैं।
  • अटलांटिक महासागर को प्लास्टिक प्रदूषण की मात्रा का अनुमान दो आधारों पर लगाया गया है:
    1. प्रथम, वर्ष 1950-2015 से प्लास्टिक कचरे के उत्पादन के रुझान;
    2. ऐसा माना गया कि विगत 65 वर्षों में वैश्विक प्लास्टिक कचरे का 0.3-0.8% अटलांटिक महासागर ने प्राप्त किया है।
  • इसलिए अनुमानितरूप से अटलांटिक जल में 1.7-4.7 करोड़ टन प्लास्टिक कचरा प्राप्त किया जा सकता है।
  • दुनिया भर में पानी और तलछट (मैल) के विश्लेषण से संकेत मिलता है कि माइक्रोप्लास्टिक ताजे पानी, समुद्री पारिस्थितिक तंत्र और मिट्टी में सर्वव्यापी हैं।

माइक्रोप्लास्टिक

  • ये प्लास्टिक के मलबे हैं जिनकी लंबाई 5 मिमी से छोटी होती है (तिल के बीज़ के आकार के बाराबर)।
  • ये कण ज्यादातर पॉलीइथाइलीन (पीई), पॉलीप्रोपाइलीन (पीपी), पॉलीस्टाइरीन (पीएस), पॉलीइथाइलीन टेरेफ्थेलेट (पीईटी) और पॉलीएस्टर से बने होते हैं।
  • माइक्रोप्लास्टिक्स आकार, रंग और रासायनिक रचनाओं की एक विशाल विविधता में आते हैं, जिसमें फ़ोम, चद्दरें, फाइबर,छोटे-छोटे टुकड़े, गुच्छे शम्मिलित होता है।

श्रेणियाँ

  • इसे स्रोत के अनुसार दो मुख्य श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है:

प्राथमिक माइक्रोप्लास्टिक्स

  • जिन्हें पर्यावरण में सीधे तौर पर छोटे-छोटे कणों के रूप में छोड़ा जाता है।
  • समुद्रों में प्राथमिक माइक्रोप्लास्टिक्स की उपलब्धता 15-31% के बीच का अनुमान है।
  • मुख्य स्रोत: सिंथेटिक कपड़ों की लांड्रिंग (प्राथमिक माइक्रोप्लास्टिक का 35%); ड्राइविंग के माध्यम से टायर का घर्षण (28%); व्यक्तिगत देखभाल उत्पादों (कॉस्मेटिक्स)से जुड़े माइक्रोप्लास्टिक, जैसे- चेहरे के स्क्रब (2%) में माइक्रोबीड्स।

द्वितीयक माइक्रोप्लास्टिक्स

  • ये प्लास्टिक की थैलियों, बोतलों या मछली पकड़ने के जाल जैसी बड़ी प्लास्टिक वस्तुओं के क्षरण से उत्पन्न होते हैं।
  • इसका हिस्सा समुद्रों में पाए जाने वाले माइक्रोप्लास्टिक्स का 69-81% है।

महासागरों तक प्लास्टिक कैसे पहुंचता है?

  • माइक्रोप्लास्टिक्स के प्रमुख स्रोतों में शामिल हैं:
  • कृषि अपवाह
  • मत्स्य पालन
  • क्रूज़ पोत
  • महासागर डंपिंग ( समुद्र के भीतर कूड़ों का ढेर लगाना)
  • पानी को बहाने
  • शिपिंग और मछली पकड़ने के उद्योग
  • शहरी अपवाह
  • कचरा प्रबंधन
  • अपशिष्ट जल उपचार संयंत्र

प्रभाव

समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रभाव

  • कई ख़तरनाक कार्बनिक प्रदूषक (उदाहरण के लिए, कीटनाशक, पॉलीक्लोराइनेटेड बाइफिनाइल्स-पीसीबी, डीडीटी, और डाइऑक्सिन) कम सांद्रता में महासागरों के आसपास तैरते हैं, लेकिन उनकी हाइड्रोफोबिक प्रकृति उन्हें प्लास्टिक के कणों की सतह पर केंद्रित करती (प्लास्टिक कणों की सतहों पर चिपकना) है।
  • समुद्री जानवर गलती से इन माइक्रोप्लास्टिक्स को निगलते वक्त विषाक्त प्रदूषकों को निगल जाते हैं। विषाक्त रसायन जानवरों के ऊतकों में जमा होते हैं और चूंकि प्रदूषकों का खाद्य श्रृंखला के माध्यम से स्थानांतरण होता रहता है जिससे इन विषाक्त प्रदूषकों की मात्रा और सांद्रता बढती रहती है।विषाक्त प्रदूषकों की अधिकता समुद्री जानवरों के लिए बेहद खतरनाक है।
  • विषाक्त रासायनिकों के अलावा, समुद्री जीवों के लिए अंतर्ग्रहित प्लास्टिक सामग्री हानिकारक हो सकती है, क्योंकि इनसे पाचन अवरोध और आंतरिक क्षति होती है।
  • माइक्रोफ़ाइबर, जिन्हें अपशिष्ट जल और फ्रेशवाटर में सबसे प्रचुर मात्रा में माइक्रोप्लास्टिक्स के रूप में रिपोर्ट किया गया है, विशेष चिंता का विषय है। इसे ज़ूप्लांकटन, नदी-तल के जीवों और सीपी के आंत्र पथ में पहचाना गया है। ये आंत रुकावट और भुखमरी के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं।

मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव

  • यदि माइक्रोप्लास्टिक्स मनुष्यों की खाद्य श्रृंखला तक पहुंचता है तो यह मनुष्यों के लिए भी हानिकारक है। उदाहरण के लिए, माइक्रोप्लास्टिक्स नल के पानी, बीयर और यहां तक कि नमक में पाए गए हैं।
  • मछली, शंख और क्रस्टेशियंस द्वारा निगले गए प्लास्टिक भी हमारे भोजन की टेबल पर पहुँच जाते हैं। मनुष्यों द्वारा भी प्रभाव महसूस किया है कि माइक्रोप्लास्टिक प्रदूषकों को मनुष्यों द्वारा निगला और अवशोषित किया जा सकता है। ये मानव अंतःस्रावी तंत्र का नुकशान कर सकते हैं और आनुवंशिक समस्या उत्पन्न कर सकते हैं।
  • मनुष्यों द्वारा प्लास्टिक का उपभोग हानिकारक है क्योंकि प्लास्टिक का उत्पादन करने के लिए उपयोग किए जाने वाले कई रसायनों से कार्सिनोजेनिक हो सकता है।

माइक्रोप्लास्टिक के उपयोग को नियंत्रित करने के लिए वैश्विक प्रयास

संयुक्त राज्य अमेरिका

  • पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने माइक्रोबीड-फ्री वाटर्स एक्ट 2015 पर हस्ताक्षर किए, जिससे टूथपेस्ट और त्वचा लोशन जैसे सौंदर्य प्रसाधनों में छोटे प्लास्टिक मोतियों के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया।

कनाडा

  • कनाडा सरकार ने भी जनवरी 2018 से माइक्रोप्लास्टिक्स वाले टॉयलेटरीज़ के उत्पादन पर रोक लगा दी थी।

यूरोप

  • यूनाइटेड किंगडम ने सभी कॉस्मेटिक उत्पादों में माइक्रोप्लास्टिक्स पर समान प्रतिबंध को अपनाया है।
  • इटली ने गैर-बायोडिग्रेडेबल कॉटन स्वैब पर प्रतिबंध लगा दिया है और सभी वाणिज्यिक गतिविधियों में बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक बैग के उपयोग की शुरुआत की है।
  • आयरलैंड इस दिशा में कदम रखने वाले पहले देशों में से एक था।जैसे कि 2002 की शुरुआत में, बेचे गए हर बैग पर एक टैक्स लागू करना (जो वर्तमान में 20 यूरो से अधिक है)। यही उपाय वेल्स, बेल्जियम और डेनमार्क में अपनाया गया था।

चीन

  • चीन ने 31 दिसंबर, 2022 तक मौजूदा स्टॉक की बिक्री के साथ 31 दिसंबर 2020 तक प्लास्टिक माइक्रोबीड्स वाले सौंदर्य प्रसाधनों के उत्पादन पर प्रतिबंध लगाने की योजना की घोषणा की है।

भारत

  • सौंदर्य प्रसाधनों में माइक्रोबीड्स के विश्लेषण के लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) द्वारा दिए गए आदेश पर, भारतीय मानक ब्यूरो ने मई 2017 में एक अध्ययन किया और' उपयोग के लिए अनुपयुक्त (Not Fit for Use)' माइक्रोबीड उत्पादों का वर्गीकरण किया।
  • हालाँकि, उसके बाद सरकार की ओर से भारत में सौंदर्य प्रसाधनों में मैक्रोबॉइड्स के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने की कोई अधिसूचना या निर्देश नहीं आया है।

शमन और नियंत्रण के उपाय

अल्पकालिक उपाय

  • सार्वजनिक स्वास्थ्य या खाद्य सुरक्षा से समझौता किए बिना, पर्यावरण के लिए हानिकारक प्लास्टिक उत्पादों के प्रतिबंधलगाना चाहिए या करों (Taxes) के माध्यम से उत्पादन और खपत का विनियमन किया जाना चाहिए।
  • अनावश्यक पैकेजिंग (जैसे, डबल पैकेजिंग) को हटाने, लेबलिंग, जागरूकता, शिक्षा के माध्यम से प्लास्टिक की खपत को कम करना, और संभवतः प्लास्टिक को पर्यावरण के अनुकूल विकल्प प्रदान करना चाहिए।
  • नए प्लास्टिक के निर्माण पर अत्यधिक करों के माध्यम से पुनर्नवीनीकरण प्लास्टिक की मांग बढ़ाना।

मध्य अवधि के उपाय

  • अपशिष्ट संग्रह प्रणालियों का कार्यान्वयन जो अपशिष्ट उत्पादन में कमी लाते हैं, "पे-एज-यू-थ्रो (pay-as-you-throw)" सिद्धांत के अनुसार रीसाइक्लिंग दर को सुधार सकते हैं, जैसे कि डोर-टू-डोर संग्रह और जमा-वापसी सिस्टम।
  • कच्चे माल की आपूर्ति (feedstock) और अपशिष्ट-से-ऊर्जा (waste-to-energy) के साथ रीसाइक्लिंग को प्राथमिकता देना जो मूल्यवान रसायनों और ऊर्जा की पुनः प्राप्तिका आदेश देता है। भूमिका उपयोग केवल पिछली प्रक्रियाओं में उत्पादित कचरे में किया जाना चाहिए।
  • उत्पादन के दौरान बनने वाले कचरे की कमी और पुनर्चक्रण तथा उत्पादों की वजह से अपशिष्ट और प्रभावों पर जिम्मेदारी तय करना।

लंबे समय तक उपाय

  • पुनर्नवीनीकरण प्लास्टिक के पर्यावरणीय प्रभावों को कम करने के लिए अपशिष्ट और रीसाइक्लिंग के संग्रह के दौरान अक्षय ऊर्जा का उपयोग करना।
  • उत्पादों के जीवन के अपेक्षित अंत को ध्यान में रखते हुए, प्रत्येक उत्पाद और इको-डिज़ाइन (पुन: उपयोग, मरम्मत और पुनर्चक्रण सहित) को बेहतर बनाने के लिए जीवन चक्र आकलन (LCA) को लागू करना।
  • ईंधन आधारित प्लास्टिक से पर्यावरणीय प्रभावों को कम करने के लिए जैव-आधारित प्लास्टिक का उपयोग करना, हानिकारक टुकड़ों (माइक्रोप्लास्टिक्स) का उत्पादन करने वाले अवक्रमित प्लास्टिक का उत्पादन कम करना, नमूना संग्रह और अपशिष्ट उपचार प्रदान करते समय उन अनुप्रयोगों में बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक का उपयोग करना जिससे खाद बनाना फायदेमंद है।
  • ई-कचरे के पुनर्चक्रण में सुधार और अंतरिम में, अपशिष्ट-से-ऊर्जा के माध्यम से निपटान करना।

आगे का रास्ता

  • एक एकीकृत अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली (यह चार आर (R) के पदानुक्रम (रिड्यूस, रीयूज़, रिसाइकिल, रिकवर) पर केंद्रित हो) और प्लास्टिक के जीवन-चक्र में सुधार करना महत्वपूर्ण है ताकि ऊर्जा और संसाधनों की खपत को कम किया जा सके, हानिकारक उत्सर्जन से बचा जा सके, और महासागरों तक पहुंचने वाले कुप्रबंधित प्लास्टिक कचरे की मात्रा को कम किया जा सके।
  • इन उपायों के लिए सरकारों द्वारा बनाई गईकमान और नियंत्रण और आर्थिक उपायों, उद्योगों से स्वैच्छिक उपायों और उपभोक्ता व्यवहार में बदलाव की आवश्यकता होगी।
  • चूंकि प्लास्टिक मरीन कूड़े की कोई सीमा नहीं है, इसलिए सभी देशों (या कम से कम तटीय देशों) में अपशिष्ट प्रबंधन प्रणालियों को बेहतर बनाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता है।