तेजी से पिघल रहे हैं हिमालय के ग्लेशियर
- 04 Feb 2025
हाल ही में, जर्नल ऑफ अर्थ सिस्टम साइंस में प्रकाशित किये गए एक अध्ययन ने अरुणाचल प्रदेश के पूर्वी हिमालय में ग्लेशियरों के तेजी से पिघलने की खतरनाक दरों का खुलासा किया है , जो इस क्षेत्र पर जलवायु परिवर्तन के महत्वपूर्ण प्रभावों को उजागर करता है।
मुख्य निष्कर्ष
- तेजी से ग्लेशियरों का ह्रास: 32 वर्षों (1988-2020) में, 110 ग्लेशियर समाप्त हो गए, जिनकी औसत पिघलने की दर 16.94 वर्ग किलोमीटर प्रति वर्ष थी।
- ग्लेशियल झीलों का निर्माण: पीछे हटते हुए ग्लेशियरों ने बेडरॉक को उजागर किया है, जिससे ग्लेशियल झीलों का निर्माण हुआ है, जिससे ग्लेशियल झील विस्फोट बाढ़ (GLOFs) का खतरा बढ़ गया है।
- त्वरित तापमान में वृद्धि: पूर्वी हिमालय वैश्विक औसत की तुलना में तेजी से गर्म हो रहे हैं, जहां तापमान प्रति दशक 0.1°C से 0.8°C तक बढ़ रहा है।
- अनुमानित तापमान वृद्धि: सदी के अंत तक, इस क्षेत्र में तापमान में 5-6°C की वृद्धि होने का अनुमान है, जिसमें 20-30% की वर्षा में वृद्धि होगी।
- जल संसाधनों पर प्रभाव: ग्लेशियरों के पीछे हटने से इस क्षेत्र की ताजे पानी की आपूर्ति को खतरा है, जिससे लाखों लोगों पर नीचे की ओर प्रभाव पड़ता है।
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