हिमालय क्षेत्र में भूतापीय जल-स्रोतों से कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन
- 13 Aug 2020
अगस्त 2020 में विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार के तहत एक स्वायत्त संस्थान, वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी (WIHG) द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार हिमालय क्षेत्र में भू-तापीय जल स्रोत विशाल मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जित करते हैं।
महत्वपूर्ण तथ्य: ये भू-तापीय जल स्रोत हिमालय के गढ़वाल क्षेत्र में लगभग 10,000 वर्ग किमी. क्षेत्र में फैले हुए हैं। हिमालय क्षेत्र में विभिन्न तापमान और रासायनिक स्थितियों वाले लगभग 600 भू- तापीय जल-स्रोत हैं।
- वैज्ञानिक पत्रिका 'एनवायरनमेंटल साइंस एंड पॉल्यूशन रिसर्च' (Environmental Science and Pollution Research) में प्रकाशित इस अध्ययन के अनुसार इन तापीय जल-स्रोतों में कार्बन डाइऑक्साइड की प्राप्ति, हिमालयी कोर में मौजूद कार्बोनेट चट्टानों के 'मेटामोर्फिक डीकार्बोनेशन' (Metamorphic Decarbonation) के साथ-साथ ग्रेफाइट के मैग्मा में परिवर्तित होने तथा ऑक्सीकरण से होती है। अधिकांश भू-तापीय जल में बड़े पैमाने पर वाष्पीकरण होता है, जिसके बाद सिलिकेट चट्टानों का अपक्षय होता है।
- डीकार्बोनेशन आम तौर पर तब होता है जब कार्बोनेट खनिजों से युक्त एक चट्टान, जैसे कि एक सिलिकेट चूना पत्थर, को उच्च तापमान और दबाव पर कायांतरित किया जाता है।
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