सिविल सेवाओं में लेटरल एंट्री : एक विमर्श - आलोक सिंह

लेटरल एंट्री पर बहस भारत की नौकरशाही में परंपरा एवं नवाचार के बीच द्वंद्व को उजागर करती है। यद्यपि राजनीतिक प्रतिरोध के कारण इसे अपनाने की प्रक्रिया धीमी हुई है, परन्तु शासन-प्रशासन में बाह्य विशेषज्ञता को शामिल करने के संभावित लाभों को उपेक्षित नहीं किया जा सकता। लेटरल एंट्री का भविष्य संभवतः एक ऐसे संतुलन पर निर्भर करेगा जो विशिष्ट कौशल की आवश्यकता और सामाजिक समानता के सिद्धांतों, दोनों को संतुष्ट कर सके।

20 अगस्त, 2024 को केंद्र सरकार ने संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) को केंद्र में वरिष्ठ नौकरशाही पदों (10 संयुक्त सचिव पद और 35 निदेशक व उप सचिव ....

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