वैश्विक दक्षिण: उभरती चुनौतियां वैश्विक एवं प्रमुख अनिवार्यताएं - डॉ. अमरजीत भार्गव

ग्लोबल साउथ के देश सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु निरंतर प्रयासरत हैं। इन देशों ने न केवल अपने स्वयं के आर्थिक विकास और तकनीकी नवाचार को बढ़ावा देने में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक प्रगति में भी महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं। ये देश अब अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक मंचों पर 'शांत बहुमत' नहीं हैं, उनकी सक्रिय भागीदारी न केवल वैश्विक समाज की समावेशिता, सद्भाव और एकता को बढ़ावा देती है, बल्कि वैश्विक शासन प्रणाली की प्रगति में नई ऊर्जा भी भरती है।

17 अगस्त, 2024 को भारत ने तीसरे 'वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन' (VOGSS) की ....

क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
इस अंक की सभी सामग्रियों को विस्तार से पढ़ने के लिए खरीदें |

पूर्व सदस्य? लॉग इन करें


वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |

संबंधित सामग्री