कार्बन बजट में उचित हिस्सेदारी
हाल ही में, द लैंसेट प्लैनेटरी हेल्थ (The Lancet Planetary Health) जर्नल में लीड्स विश्वविद्यालय (University of Leeds) और बार्सिलोना विश्वविद्यालय (University of Barcelona) के शोधकर्ताओं द्वारा एक अध्ययन प्रकाशित किया गया है।
- इसके अनुसार, ऑस्ट्रेलिया, ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, कनाडा, डेनमार्क, फ्रांस, जर्मनी, लक्जमबर्ग, नीदरलैंड, स्वीडन और यूनाइटेड किंगडम जैसे विश्व के कुछ विकसित देशों को 2022 के स्तर के कार्बन उत्सर्जन को 95% तक कम करने में 200 साल से अधिक का समय लग सकता है।
- इसमें इस तथ्य पर प्रकाश डाला गया है कि यदि इन देशों द्वारा कार्बन उत्सर्जन का स्तर जारी रहता है, तो इन देशों द्वारा ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
इस अंक की सभी सामग्रियों को विस्तार से पढ़ने के लिए खरीदें |
पूर्व सदस्य? लॉग इन करें
वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |
संबंधित सामग्री
- 1 पीएम सूर्य घर योजना की ऐतिहासिक उपलब्धि
- 2 आर्द्रभूमि के विवेकपूर्ण उपयोग हेतु रामसर पुरस्कार 2025
- 3 कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान
- 4 जॉर्ज VI आइस शेल्फ के नीचे एक समृद्ध पारिस्थितिक तंत्र की खोज
- 5 समुद्री घास संरक्षण: पृथ्वी की जैव विविधता का आधार
- 6 मध्य प्रदेश में घड़ियालों का संरक्षण
- 7 भारत का 58वां टाइगर रिजर्व
- 8 आईसलैंड का पहला 'मृत घोषित' ग्लेशियर: ओक्जोकुल
- 9 अंटार्कटिका के नीचे के भूदृश्य का नया मानचित्र: बेडमैप3
- 10 कश्मीर हिमालय में पर्माफ्रॉस्ट पिघल रहा है
पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी
- 1 वायु गुणवत्ता जीवन सूचकांक 2023
- 2 प्लास्टिक प्रदूषण से संबंधित वैश्विक संधि का मसौदा
- 3 हीटवेव के कारण ओजोन प्रदूषण
- 4 कार्बन उत्सर्जन एवं मानव पर इसके प्रभाव
- 5 जलवायु से बच्चों की सुरक्षा के लिए संयुक्त राष्ट्र समिति के दिशा-निर्देश
- 6 भारत के हाथी गलियारों पर रिपोर्ट
- 7 आक्रामक विदेशी प्रजातियों पर रिपोर्ट
- 8 यूरोपीय बम्बलबी की प्रजातियों पर खतरा
- 9 हिमालयी राज्यों में स्थित शहरों की वहन क्षमता
- 10 इंटेलिजेंट वॉटर बॉडी मैनेजमेंट सिस्टम प्रोजेक्ट: तमारा