भरण-पोषण की कार्यवाही दाम्पत्य अधिकारों के पुनर्स्थापन से स्वतंत्र

10 जनवरी, 2025 को सर्वोच्च न्यायालय ने एक मामले में निर्णय दिया कि ‘दाम्पत्य अधिकारों की पुनर्स्थापना’ (Restitution of Conjugal Rights) और भरण-पोषण (Maintenance) से संबंधित कार्यवाही एक-दूसरे से पूर्णतः स्वतंत्र हैं और “प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से भी आपस में जुड़ी हुई नहीं हैं”।

  • वाद का शीर्षक: रीना कुमारी उर्फ रीना देवी बनाम दिनेश कुमार महतो एवं अन्य, 2024।
  • पीठ: चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार।
  • सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष मूल प्रश्न: "क्या एक पति, जो दाम्पत्य अधिकारों की बहाली के लिए डिक्री हासिल करता है, दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 125 (4) के आधार ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
इस अंक की सभी सामग्रियों को विस्तार से पढ़ने के लिए खरीदें |

पूर्व सदस्य? लॉग इन करें


वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |

संबंधित सामग्री