दिव्यांग व्यक्तियों का सशक्तीकरण : अधिकार आधारित दृष्टिकोण और समावेशी समाज की ओर बढ़ते कदम - संपादकीय डेस्क
भारत की कुल दिव्यांग आबादी का लगभग 45% हिस्सा अशिक्षित है, इसके अलावा शिक्षित दिव्यांग व्यक्तियों में से लगभग 59% मात्र 10वीं पास हैं। दिव्यांग व्यक्तियों (Person with Disabilities-PwD) को समाज में भेदभाव और उपेक्षा का भी सामना करना पड़ता है। सरकार ने दिव्यांग लोगों के कल्याण हेतु अनेक योजनाएं संचालित की हैं, बावजूद इसके दिव्यांग व्यक्तियों को अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। भारत सरकार समावेशी नीतियों को लागू करके तथा शिक्षा और रोजगार तक समान पहुंच सुनिश्चित करके इन्हें सशक्त बना सकती है।
8 से 13 जनवरी 2024 तक गोवा में अंतरराष्ट्रीय पर्पल उत्सव 2024 (International Purple Fest ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
इस अंक की सभी सामग्रियों को विस्तार से पढ़ने के लिए खरीदें |
पूर्व सदस्य? लॉग इन करें
वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |
संबंधित सामग्री
- 1 भारत में जलवायु अनुकूल कृषि की आवश्यकता : चुनौतियां एवं समाधान - डॉ. अमरजीत भार्गव
- 2 भारत में सामाजिक उद्यमिता : उदय, प्रभाव एवं संभावनाएं - महेंद्र चिलकोटी
- 3 ब्रिक्स समूह : बदलते वैश्विक परिदृश्य में भारत के लिए अवसर एवं चुनौतियां - आलोक सिंह
- 4 बायो -ई3 नीति : बायो- मैन्युफैक्चरिंग में नवाचार और धारणीयता को बढ़ावा - डॉ. अमरजीत भार्गव
- 5 भारत में खाद्य सुरक्षा विनियमों का सुदृढ़ीकरण - संपादकीय डेस्क
- 6 भारत एवं क्वाड : एक सुरक्षित एवं समृद्ध विश्व के लिए साझेदारी का विस्तार - आलोक सिंह
- 7 वैश्विक दक्षिण: उभरती चुनौतियां वैश्विक एवं प्रमुख अनिवार्यताएं - डॉ. अमरजीत भार्गव
- 8 भारत-पोलैंड संबंध : रक्षा, सुरक्षा, व्यापार और प्रौद्योगिकी में सहयोग हेतु 'रणनीतिक साझेदारी' - संपादकीय डेस्क
- 9 सिविल सेवाओं में लेटरल एंट्री : एक विमर्श - आलोक सिंह
- 10 भारत-रूस संबंध: परिवर्तनशील वैश्विक व्यवस्था में साझेदारी का विस्तार - संपादकीय डेस्क