हरित प्रौद्योगिकियों का सतत जल-प्रबंधन में उपयोग

जल की उपलब्धता 2001 में प्रति व्यक्ति 1816 क्यूबिक मीटर से घटकर 2011 में 1544 क्यूबिक मीटर हो गई और 2050 तक इसके और कम होकर 1140 क्यूबिक मीटर होने का अनुमान है।

  • नीति आयोग के अनुसार, जल की कमी की स्थिति से देश की जीडीपी में लगभग 6% की हानि होने की आशंका है।
  • झिल्ली निस्पंदन (Membrane filtration), ओजोन उपचार और यूवी कीटाणुशोधन (UV disinfection) को ऊर्जा-कुशल एवं पर्यावरण के अनुकूल उन्नत जल उपचार विधियों के रूप में जाना जाता है।
  • रिवर्स ऑस्मोसिस (RO) और इलेक्ट्रोडायलिसिस रिवर्सल (EDR) प्रमुख अलवणीकरण तकनीकें हैं, जिनका उपयोग समुद्री जल या खारे पानी को ....

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