घरेलू शुद्ध वित्तीय बचत में गिरावट
हाल ही में, निवल घरेलू बचत (Net Household Saving) पर एक नवीन बहस देखने को मिली है। यह पाया गया है कि वित्तीय वर्ष 2022-23 के दौरान देश में संरचनात्मक बदलावों और ऋण लेने की अधिक मात्रा के कारण ‘सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की तुलना में निवल घरेलू वित्तीय बचत के अनुपात’ [Household Net Financial Savings to GDP Ratio] में गिरावट आई है।
- सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के अनुपात में उच्च ऋण की प्रवृत्ति के कारण परिवारों को व्यापक पैमाने पर अधिक ब्याज भुगतान करना होता है, इससे परिवारों के वित्तीय संकट में वृद्धि होती है।
- भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार डॉ. ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
इस अंक की सभी सामग्रियों को विस्तार से पढ़ने के लिए खरीदें |
पूर्व सदस्य? लॉग इन करें
वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |
संबंधित सामग्री
- 1 'श्वेत क्रांति 2.0' पर मानक संचालन प्रक्रिया
- 2 महामारी निधि परियोजना
- 3 भारत के कपड़ा क्षेत्र पर व्यापार संबंधी आंकड़े
- 4 700 अरब डॉलर से अधिक का फॉरेक्स रिजर्व
- 5 बहुपक्षीय विकास बैंकों की स्थापना में ग्लोबल साउथ का योगदान
- 6 चार एनबीएफसी को ऋण देने पर रोक
- 7 खनिज सुरक्षा भागीदारी वित्त नेटवर्क
- 8 एग्रीश्योर फंड और कृषि निवेश पोर्टल का शुभारंभ
- 9 डिजिटल कृषि मिशन को मंजूरी
- 10 जल विद्युत परियोजनाओं हेतु बजटीय सहायता की योजना में संशोधन
- 1 भारतीय उद्योग परिसंघ का वार्षिक व्यापार सम्मेलन
- 2 'इस्पात क्षेत्र में स्थिरता स्थापित करने' पर राष्ट्रीय कार्यशाला
- 3 IIBX का पहला ट्रेडिंग-कम-क्लियरिंग सदस्य
- 4 राष्ट्रीय राजमार्गों का निर्माण तथा निवेश मॉडल
- 5 परियोजना वित्तपोषण हेतु आरबीआई के मसौदा दिशानिर्देश
- 6 आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण पर त्रैमासिक बुलेटिन
- 7 10 शीर्ष व्यापारिक साझेदारों के साथ भारत के व्यापार की स्थिति
- 8 मुक्त व्यापार समझौतों पर विमर्श हेतु रणनीतिक बैठक
- 9 RBI द्वारा सरकार को अधिशेष हस्तांतरण
- 10 बीमाकर्ताओं हेतु कॉर्पोरेट प्रशासन पर मास्टर सर्कुलर
- 11 परिसंपत्ति पुनर्निर्माण कंपनियों की कार्यप्रणाली में पर्यवेक्षी चिंताएं