लिविंग विल पंजीकृत कराने वाले पहले व्यक्ति
हाल ही में, बॉम्बे उच्च न्यायालय की गोवा पीठ के न्यायमूर्ति एमएस सोनक गोवा में 'लिविंग विल' (Living Will) पंजीकृत कराने वाले पहले व्यक्ति बन गए।
- 'लिविंग विल' एक अग्रिम चिकित्सा निर्देश है जिसमें यह निर्दिष्ट किया जाता है कि जब पंजीकृत करने वाला व्यक्ति निर्णय नहीं ले सकता है तो क्या कार्रवाई करनी होगी।
- दूसरे शब्दों में, लिविंग विल एक लिखित दस्तावेज़ है जिसमें व्यक्ति अपनी चिकित्सा उपचार संबंधी प्राथमिकताओं को पहले से ही रेखांकित करता है, जिसका पालन तब किया जाना चाहिए जब वह अक्षम हो जाए या संवाद करने में असमर्थ हो जाए। यह एक स्वैच्छिक निर्णय ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
इस अंक की सभी सामग्रियों को विस्तार से पढ़ने के लिए खरीदें |
पूर्व सदस्य? लॉग इन करें
वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |
संबंधित सामग्री
- 1 महिला सशक्तीकरण में एआई की भूमिका
- 2 भारत में गरीबी मापन ढांचे में संशोधन की आवश्यकता
- 3 भारत में बाल मृत्यु दर में कमी: एक अनुकरणीय उपलब्धि
- 4 स्वावलंबिनी-महिला उद्यमिता कार्यक्रम
- 5 भारत में पारिवारिक मूल्यों का क्षरण एक गंभीर चिंता: सर्वोच्च न्यायालय
- 6 छात्र आत्महत्याओं पर रोक के लिए टास्क फोर्स का गठन
- 7 श्रमिकों के सामाजिक सुरक्षा कवरेज हेतु समितियों का गठन
- 8 विज्ञान में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने हेतु यूनेस्को का अभियान
- 9 भारत और आईएलओ महानिदेशक के बीच द्विपक्षीय बैठक
- 10 वृद्धावस्था स्वास्थ्य सेवा और नशामुक्ति हेतु साझेदारी