वैश्विक चुनौतियां वैश्विक समाधानों की मांग करती हैं
विजेता- अवनीश कुमार शुक्ला
सामाजिक, आर्थिक और तकनीकी परिवर्तनों ने वैश्विक समुदाय के समक्ष नवीन चुनौतियां प्रस्तुत की हैं, जिन्हें पहचाने बिना हम आगे बढ़ने के बारे में सोच भी नहीं सकते। ये समस्याएं ऐसी हैं, जिन्हें किसी देश की सीमा या सत्ता के अंतर्गत समेटा नहीं जा सकता; जिनका सरोकार कम या अधिक सभी से है।
वैश्विक परिस्थितियों से उपजे माहौल में ही संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना की गई थी। सात दशकों के कार्यकाल में इसके द्वारा वैश्विक चुनौतियों का सामूहिक प्रयास के माध्यम से हल करने का प्रयास किया गया और एक ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
इस अंक की सभी सामग्रियों को विस्तार से पढ़ने के लिए खरीदें |
पूर्व सदस्य? लॉग इन करें
वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |
संबंधित सामग्री
- 1 केवल इसलिए कि आपके पास विकल्प है इसका अर्थ यह कदापि नही की उनमे से कोई एक ठीक होगा ही - डॉ. श्याम सुंदर पाठक
- 2 जीवन, स्वयं को अर्थपूर्ण बनाने का अवसर है
- 3 क्या हम सभ्यता के पतन की राह पर हैं?
- 4 क्या अधिक मूल्यवान है, बुद्धिमत्ता या चेतना?
- 5 कौशल विकास के माध्यम से ग्रामीण भारत का रूपांतरण
- 6 सार्वजनिक नीति निर्माण में महिलाओं की भागीदारी की आवश्यकता
- 7 विकास जैसी गतिशील प्रक्रिया में मानवाधिकार, मूल्यवान मार्गदर्शक हैं
- 8 ओटीटी प्लेटफार्मः विनियमन बनाम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता
- 9 क्या 21वीं सदी के नेटिज़ेंस के लिए गोपनीयता एक भ्रम है?
- 10 शहरी मध्य वर्ग, भारत के रूपांतरण की कुंजी है