आईटी एक्ट की निरस्त धारा 66ए का प्रयोग चिंताजनक
6 सितंबर, 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने सूचना प्रौद्योगिकी (IT) अधिनियम की धारा 66ए के तहत एफआईआर दर्ज किए जाने को ‘गंभीर चिंता का विषय’ करार देते हुए राज्यों के मुख्य सचिवों को तीन हफ्ते के भीतर मामले वापस लेने का निर्देश जारी किया।
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह गंभीर चिंता का विषय है कि सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम-2000 की धारा-66 ए का अब भी उपयोग किया जा रहा है, जबकि इसे 2015 में श्रेया सिंघल बनाम भारत संघ वाद में असंवैधानिक घोषित किया जा चुका है।
- प्रधान न्यायाधीश यूयू ललित एवं न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट की पीठ 'पीपुल्स यूनियन फॉर ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
इस अंक की सभी सामग्रियों को विस्तार से पढ़ने के लिए खरीदें |
पूर्व सदस्य? लॉग इन करें
वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |
संबंधित सामग्री
- 1 2025 'सुधारों का वर्ष' घोषित: रक्षा मंत्रालय
- 2 ‘पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो’ की समीक्षा बैठक
- 3 भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 152
- 4 हमारा संविधान-हमारा स्वाभिमान अभियान
- 5 राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्षों का 25वां राष्ट्रीय सम्मेलन
- 6 सीबीआई के लिए राज्य की सहमति
- 7 केंद्रीय और राज्य सूचना आयोगों में रिक्तियों को समय पर भरने का निर्देश
- 8 समलैंगिक विवाह: सुप्रीम कोर्ट ने फैसले की समीक्षा खारिज की
- 9 आपराधिक मामले में विदेशियों की आवाजाही पर प्रतिबंध
- 10 भरण-पोषण की कार्यवाही दाम्पत्य अधिकारों के पुनर्स्थापन से स्वतंत्र