कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न
मार्च 2022 में केरल उच्च न्यायालय ने फिल्म उद्योग से जुड़े संगठनों को महिलाओं के यौन उत्पीड़न (Sexual Harassment) के मामलों से निपटने के लिए एक संयुक्त समिति गठित करने के लिए कदम उठाने को कहा है। उपर्युक्त मामलों से निपटने के लिए भारत में "कार्यस्थल पर महिलाओं का उत्पीड़न (रोकथाम निषेध और निवारण) अधिनियम" (POSH Act) महत्वपूर्ण है।
पोश ऐक्ट क्या है?
- कार्यस्थल पर महिलाओं का उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम 2013 को ही सामान्य रूप में ‘यौन उत्पीड़न रोकथाम अधिनियम’ (POSH Act) कहा जाता है
- वर्ष 2013 में पारित POSH अधिनियम यौन उत्पीड़न को परिभाषित करता है।
- अधिनियम में ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
इस अंक की सभी सामग्रियों को विस्तार से पढ़ने के लिए खरीदें |
पूर्व सदस्य? लॉग इन करें
वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |
संबंधित सामग्री
- 1 जल जीवन मिशन तथा महिला सशक्तीकरण
- 2 'क्षेत्रीय सामाजिक सुरक्षा फ़ोरम' का आयोजन
- 3 सुगम्य भारत अभियान के 9 वर्ष
- 4 मैन्युअल स्कैवेंजिंग पर केंद्र से निगरानी पैनल बुलाने की अपील: सुप्रीम कोर्ट
- 5 भारत की लिंग संवेदनशील बजटिंग की सराहना
- 6 सार्वजनिक वितरण प्रणाली को युक्तिसंगत बनाने पर पॉलिसी ब्रीफ
- 7 बच्चों के विरुद्ध हिंसा समाप्त करने पर वैश्विक सम्मेलन
- 8 'बाल विवाह मुक्त भारत' अभियान
- 9 शिक्षा मंत्रालय की स्टार्स कार्यशाला
- 10 बच्चों एवं युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर मार्गदर्शन दस्तावेज