मोटे अनाज को बढ़ावा : कुपोषण एवं जलवायु परिवर्तन न्यूनीकरण में भूमिका - संपादकीय डेस्क
मोटे अनाजों को जल की कमी वाले अर्द्धशुष्क क्षेत्रों में भी आसानी से उगाया जा सकता है तथा इन फसलों की परिपक्वता अवधि भी तुलनात्मक रूप से कम होती है। विशेषज्ञ इन्हें 21वीं सदी की एक आदर्श फसल मानते हैं, जो जलवायु परिवर्तन तथा बढ़ती वैश्विक जनसंख्या के संदर्भ में खाद्य सुरक्षा की समस्या का एक संभावित समाधान हो सकता है। इनमें पौष्टिक तत्वों की अधिकता होती है, अतः इसे अधिक से अधिक अपनाए जाने की प्रवृत्ति को बढ़ावा देकर पोषण सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है।
जनवरी 2023 में केंद्रीय मंत्रालयों, राज्य सरकारों तथा भारतीय दूतावासों द्वारा मोटे अनाजों (Millets) ....
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