भारत की राजकोषीय चुनौतियां : मौजूदा स्थिति एवं सतत आर्थिक संवृद्धि हेतु अनिवार्यताएं - संपादकीय डेस्क
किसी देश अथवा क्षेत्र में जारी समस्त आर्थिक गतिविधियां अग्र एवं पश्चगामी प्रभाव उत्पन्न करती हैं। कमोबेश, यही स्थिति राजकोषीय संतुलन के संदर्भ में देखी जा सकती है। राजकोषीय संतुलन से एक तरफ जहां सरकार को सामाजिक कल्याण एवं बुनियादी ढांचे के निर्माण हेतु अवसर प्राप्त होते हैं; तो वहीं दूसरी तरफ, व्यापक राजकोषीय घाटा अनेक चक्रीय प्रभावों को उत्पन्न करके अंततः आर्थिक विकास को प्रभावित करता है। इसके नकारात्मक प्रभाव से बचने के लिए सरकारों एवं उत्तरदायी संस्थाओं द्वारा सदैव दीर्घकालिक उपायों को अपनाने का प्रयास किया जाता है। अपनी आर्थिक विकास की प्रक्रिया को तीव्र करने के लिए ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
इस अंक की सभी सामग्रियों को विस्तार से पढ़ने के लिए खरीदें |
पूर्व सदस्य? लॉग इन करें
वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |
संबंधित सामग्री
- 1 भारत में जलवायु अनुकूल कृषि की आवश्यकता : चुनौतियां एवं समाधान - डॉ. अमरजीत भार्गव
- 2 भारत में सामाजिक उद्यमिता : उदय, प्रभाव एवं संभावनाएं - महेंद्र चिलकोटी
- 3 ब्रिक्स समूह : बदलते वैश्विक परिदृश्य में भारत के लिए अवसर एवं चुनौतियां - आलोक सिंह
- 4 बायो -ई3 नीति : बायो- मैन्युफैक्चरिंग में नवाचार और धारणीयता को बढ़ावा - डॉ. अमरजीत भार्गव
- 5 भारत में खाद्य सुरक्षा विनियमों का सुदृढ़ीकरण - संपादकीय डेस्क
- 6 भारत एवं क्वाड : एक सुरक्षित एवं समृद्ध विश्व के लिए साझेदारी का विस्तार - आलोक सिंह
- 7 वैश्विक दक्षिण: उभरती चुनौतियां वैश्विक एवं प्रमुख अनिवार्यताएं - डॉ. अमरजीत भार्गव
- 8 भारत-पोलैंड संबंध : रक्षा, सुरक्षा, व्यापार और प्रौद्योगिकी में सहयोग हेतु 'रणनीतिक साझेदारी' - संपादकीय डेस्क
- 9 सिविल सेवाओं में लेटरल एंट्री : एक विमर्श - आलोक सिंह
- 10 भारत-रूस संबंध: परिवर्तनशील वैश्विक व्यवस्था में साझेदारी का विस्तार - संपादकीय डेस्क
- 1 भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत एवं विविधता : पर्यटन क्षेत्र को बढ़ावा देने में सहायक - संपादकीय डेस्क
- 2 भारत में बढ़ती असमानता : समावेशी विकास में बाधक - नवीन चंदन
- 3 भारतीय डायस्पोरा : देश की प्रगति के विश्वसनीय भागीदार - डॉ. अमरजीत भार्गवब
- 4 मोटे अनाज को बढ़ावा : कुपोषण एवं जलवायु परिवर्तन न्यूनीकरण में भूमिका - संपादकीय डेस्क