भारत की राजकोषीय चुनौतियां : मौजूदा स्थिति एवं सतत आर्थिक संवृद्धि हेतु अनिवार्यताएं - संपादकीय डेस्क
किसी देश अथवा क्षेत्र में जारी समस्त आर्थिक गतिविधियां अग्र एवं पश्चगामी प्रभाव उत्पन्न करती हैं। कमोबेश, यही स्थिति राजकोषीय संतुलन के संदर्भ में देखी जा सकती है। राजकोषीय संतुलन से एक तरफ जहां सरकार को सामाजिक कल्याण एवं बुनियादी ढांचे के निर्माण हेतु अवसर प्राप्त होते हैं; तो वहीं दूसरी तरफ, व्यापक राजकोषीय घाटा अनेक चक्रीय प्रभावों को उत्पन्न करके अंततः आर्थिक विकास को प्रभावित करता है। इसके नकारात्मक प्रभाव से बचने के लिए सरकारों एवं उत्तरदायी संस्थाओं द्वारा सदैव दीर्घकालिक उपायों को अपनाने का प्रयास किया जाता है। अपनी आर्थिक विकास की प्रक्रिया को तीव्र करने के लिए ....
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