क्या अधिक मूल्यवान है, बुद्धिमत्ता या चेतना?
विवेक उपाध्याय
किसी सामर्थ्य का मूल्य उसकी उपयोगिता से सिद्ध होता है। बुद्धिमत्ता तथा चेतना दोनों ही व्यक्ति के सामर्थ्य हैं। बुद्धिमत्ता का तात्पर्य व्यक्ति के तर्क तथा समझदारी की उस क्षमता से है, जो उसके सीखने तथा अनुकूलन की क्षमता को बढ़ाता है। जबकि चेतना आंतरिक तथा बाह्य अस्तित्व के प्रति जागरूकता से संबंधित है। इसीलिए बुद्धिमत्ता को मापने के तो कुछ मापदंड प्रचलित हैं, परंतु चेतना को मापने का कोई मापदंड नहीं है।
किसी व्यक्ति की बुद्धिमत्ता को उसकी तर्क-क्षमता, विश्लेषण-क्षमता, समझ-शक्ति के आधार पर तय किया जाता है। अर्थात यदि किसी व्यक्ति ....
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