राज्यपाल बनाम स्पीकर : सत्ता के लिए संघर्ष एवं संवैधानिक नैतिकता
लोकतंत्र की विश्वसनीयता इस बात पर निर्भर करती है कि इसके संस्थान व्यवहार में कैसे काम करते हैं। साथ ही, लोकतंत्र की स्थिरता न केवल संवैधानिक सिद्धांतों पर बल्कि संवैधानिक नैतिकता और संवैधानिक औचित्य पर भी निर्भर करती है।
पिछले 6 वर्षों में राज्यपाल और स्पीकर के बीच सत्ता के लिए कानूनी-राजनीतिक विवाद बढ़ा है। परिणामस्वरूप सुप्रीम कोर्ट को हस्तक्षेप करना पड़ा है जिसका तीन महत्वपूर्ण उदाहरण अरुणाचल प्रदेश (2015), उत्तराखंड (2016) और कर्नाटक (2019) हैं। तीनों मामलों में, अदालत ने विश्वासमत परीक्षण की प्रधानता पर जोर दिया।
- इसकी चरम परिणति हाल ही में, मध्य प्रदेश (2020) में विश्वासमत परीक्षण की तिथि ....
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