स्त्री पैदा नहीं होती, बल्कि बना दी जाती हैं
-मोनिका मिश्रा
मनोविज्ञान का यह प्रचलित मत है कि व्यक्ति अपने सामाजिक-सांस्कृतिक परिवेश का उप-उत्पाद होता है। उदाहरण के लिए वृहद स्तर पर विभिन्न महाद्वीपों अथवा देशों में निवास करने वाले लोगों की सामाजिक-आर्थिक दशा तथा विकास की प्रवृत्ति को देखा जा सकता है। हम यहां स्पष्ट रूप से देख सकते हैं कि अफ्रीका महाद्वीप के किसी देश में निवास करने वाले व्यक्ति की परिस्थितियां दूसरे अन्य महाद्वीपों में रहने वाले लोगों की परिस्थितियों से एकदम भिन्न हैं। इन्हीं परिस्थितियों के समेकित प्रभाव से व्यक्ति के व्यक्तित्व का निर्माण होता है। महिलाओं के संदर्भ में भी समान ....
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