शक्तियों के पृथक्करण का सिद्धान्त

12 फरवरी, 2021 को कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने लोकसभा में कहा कि जिस तरह से न्यायपालिका की स्वतंत्रता संविधान की मूल संरचना का एक हिस्सा है, उसी प्रकार शक्तियों के पृथक्करण का सिद्धांत भी मूल संरचना का ही भाग है।

  • कानून मंत्री ने कहा कि विधि निर्माण तथा शासन का कार्य निर्वाचित सदस्यों पर छोड़ दिया जाना चाहिए, जो विधायिका के प्रति जवाबदेह होते हैं।

शक्तियों का पृथक्करण

भारत का संविधान अन्तर्निहित स्वरूप में शक्तियों के पृथक्करण (Separation of Powers) के विचार को स्वीकार करता है।

  • शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धांत को निरपेक्ष रूप से मान्यता देने वाले कोई भी ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
इस अंक की सभी सामग्रियों को विस्तार से पढ़ने के लिए खरीदें |

पूर्व सदस्य? लॉग इन करें


वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |

संबंधित सामग्री