अंतर्निहित प्रवृत्ति की कमजोरी चरित्र की कमजोरी बन जाती है

मोनिका मिश्रा

किसी भी व्यक्ति की प्रवृत्ति उसके स्वभाव तथा व्यक्तित्व से प्रभावित एवं संचालित होती है; जबकि चरित्र मनुष्य की सभी आदतों का योग होता है। इस प्रकार प्रवृत्ति इंसान के सोचने एवं किसी भी परिस्थिति से निपटने के तरीके को उजागर करती है तो वहीं चरित्र कार्यों को करने की पद्धति से दृष्टिगोचर होता है। उदाहरण के लिए खेलों के संदर्भ में हमने अक्सर यह देखा है कि कुछ खिलाड़ी राष्ट्रीय अथवा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक लंबे समय तक अपनी पहचान बनाए रखते हैं। वहीं कुछ खिलाड़ी तो ओलंपिक जैसी कठिन प्रतियोगिताओं में भी एक ....

क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
इस अंक की सभी सामग्रियों को विस्तार से पढ़ने के लिए खरीदें |

पूर्व सदस्य? लॉग इन करें


वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |

संबंधित सामग्री

निबन्ध