जुलाई 2018 को भ्रष्टाचार निवारण (संशोधन) विधेयक, 2018 को संसद की मंजूरी प्रदान कर दी गई है। इस विधेयक में भ्रष्टाचार की रोकथान अधिनियम 1988 में संशोधन किया गया है।
विधेयक के प्रावधान
इस विधेयक में रिश्वत लेने वाले के साथ रिश्वत देने वाला भी समान रूप से जिम्मेदार है। विधेयक में यह सुनिश्चित किया गया है कि किसी को बेवजह परेशान नहीं किया जाए।
नए कानून के तहत रिश्वत लेने वालों की तरह रिश्वत देने वालों को भी 3 से 7 साल की कैद का प्रावधान किया गया है।
इस नए कानून में ईमानदार कर्मचारियों को संरक्षण दिए जाने का प्रावधान किया गया है।
जांच के दौरान यह भी देखा जाएगा कि रिश्वत किन परिस्थितियों में दी गई है।
नए कानून के मुताबिक किसी भी लोकसेवक पर भ्रष्टाचार का मामला चलाने से पहले अगर वह केंद्र का है तो पहले लोकपाल और अगर लोकसेवक राज्य का है तो राज्यों में लोकायुत्तफ़ों की अनुमति लेनी होगी।