भारतीय और अमेरिकी वैज्ञानिकों के एक शोध में ऐसे जीन्स की पहचान की गई है, जो मूंगफली की अधिक पाचक किस्में विकसित करने में मददगार हो सकते हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार मूंगफली की ये किस्में खनिजों की कमी से होने वाले कुपोषण को दूर करने का जरिया बन सकती हैं। वैज्ञानिकों ने मूंगफली में फाइटिक एसिड (Phytic Acid) के संश्लेषण से एएचपीआईपीके1, एएचआईपीके2 और एएचआईटीपीके1 नामक जीन्स की पहचान की है। मूंगफली में पाए जाने वाले फाइटिक एसिड जैसे तत्व पाचन के समय आयरन और जिंक के अवशोषण में रुकावट पैदा करते हैं, जिससे पाचन में समस्या हो जाती है और ये शरीर से पाचन हुए बिना ही बाहर निकल जाते हैं। इस तरह अवांछित फाइटिक एसिड पर्यावरण में प्रदूषण और जल यूट्रोफिकेशन (Eutrophication), यानी जल में पादप पोषकों की मात्रा को बढ़ावा देते हैं। यदि मूंगफली में फाइटिक एसिड की मात्रा को कम किया जा सके तो इसके अन्य पोषक तत्वों का पूरा लाभ उठाया जा सकता है।
राष्ट्रीय पोषण माह देश में कुपोषण की चुनौतियों से निपटने और समग्र पोषण के महत्व के बारे में देशवासियों को संवेदनशील बनाने के लिहाज से पोषण अभियान के तहत सितंबर माह को पूरे देश में राष्ट्रीय पोषण माह के तौर पर मनाया गया। पोषण माह का उद्देश्य लोगों को पोषण की आवश्यकता के बारे में जागरूक करना और लोगों की पहुंच उन सरकारी सेवाओं तक बनाना है; जो बच्चों, गर्भवती महिलाओं, दूध पिलाने वाली माताओं के लिए पूरक आहार को बढ़ावा देती है। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने नोडल एजेंसी के तौर पर पूरे देश में 1 सितंबर, 2018 को राष्ट्रीय पोषण माह की शुरूआत की थीं। इसमें बच्चे के जन्म से पूर्व देखभाल, एनीमिया, बच्चे की वृद्धि की निगरानी, बच्चियों की शिक्षा, भोजन, विवाह के समय सही आयु, साफ-सफाई और स्वच्छता और खान-पान की आदतों को थीम के तौर पर लिया गया। ज्ञात हो कि स्वास्थ्य और कल्याण के महत्वपूर्ण सुझावों के बारे में जागरूक करने के लिए 1 से 7 सितम्बर को राष्ट्रीय पोषण सप्ताह के रूप में 1982 से तथा 2010 से 8 सितम्बर को राष्ट्रीय पोषण दिवस के रूप में मनाया जाता है। |