भारत जंग में तबाह हुए अफगानिस्तान के पुनः निर्माण में सक्रियता से भाग ले रहा है। भारत ने अमेरिकी सैन्य बलों द्वारा तालिबान को सत्ता से हटाने के बाद से अफगानिस्तान को करीब तीन अरब अमेरिकी डॉलर की मदद की प्रतिबद्धता की है। गौरतलब है कि भारत ने नवंबर में मास्को में अफगान शांति प्रक्रिया पर हुए एक सम्मेलन में अपने दो पूर्व राजनयिकों को ‘अनौपचारिक’ हैसियत से भेजा था।
ज्ञात हो कि अमेरिका के भारी दबाव के बावजूद भारत ने अफगानिस्तान में सैन्य हस्तक्षेप नहीं करने की अपनी नीति अख्तियार की हुई है। दूसरी तरफ भारत अफगानिस्तान को दूसरे तरीके से मदद पहुंचाने में जुटा है। भारत वहां चार अरब डॉलर की परियोजनाएं लगा चुका है और 2.5 अरब डॉलर की अन्य परियोजनाओं पर विचार हो रहा है। अफगानिस्तान के 35 प्रांतों में अभी 550 छोटी छोटी परियोनजाएं भारत की मदद से चलाई जा रही हैं, जो सीधे तौर पर वहां के आवाम के जीवन स्तर को बेहतर बनाने का काम कर रही हैं। इसके अलावा अफगानिस्तान के प्रशासनिक व सैन्य बलों को बड़े पैमाने पर प्रशिक्षण का काम भी भारत कर रहा है।
दूसरी तरफ, तालिबान को लेकर भारत के रुख में कोई बदलाव नहीं आया है। असलियत में अभी भारत और अफगानिस्तान की अशरफ घनी सरकार ही बचे हैं, जिनकी तालिबान से सीधी बातचीत नहीं हो रही है। तालिबान के साथ बातचीत नहीं करने को लेकर भारत अपनी नीति पर अडिग है।