पंद्रहवें वित्त आयोग ने स्वास्थ्य क्षेत्र में एक विशेषज्ञ समूह का गठन किया है, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनाए जाने वाले सर्वश्रेष्ठ व्यवहार की समीक्षा करेगा, ताकि देश में स्वास्थ्य सेवा लाभों को अधिकतम स्तर पर पहुंचाया जा सके। इस छह सदस्यीय समिति के संयोजक अिखल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक रंदीप गुलेरिया होंगे।
विशेषज्ञ समूह स्वास्थ्य क्षेत्र में मौजूदा नियामकीय ढांचे का आकलन करेगा। साथ ही यह इस क्षेत्र की ताकत और कमजोरी का पता लगाएगा, जिससे इस क्षेत्र का संतुलित तरीके से तेज विस्तार किया जा सके।
इसके अलावा समूह मौजूदा वित्तीय संसाधनों के महत्तम इस्तेमाल के तरीके सुझाएगा और राज्यों को देश में बेहतर तरीके से परिभाषित स्वास्थ्य मानदंडों को पूरा करने के प्रयासों के लिए प्रोत्साहित करेगा।
संविधान के अनुच्छेद 280(1)
संविधान के अनुच्छेद 280(1) के अंतर्गत यह प्रावधान है कि संविधान के प्रारंभ से दो वर्ष के भीतर और उसके बाद प्रत्येक 5 वर्ष की समाप्ति पर या पहले उस समय पर, जिसे राष्ट्रपति आवश्यक समझते हैं, एक वित्त आयोग का गठन किया जाएगा।
यह भारत के संचित निधि (Consolidated Fund of India) के बाहर राज्यों के राजस्व के अंतरण के लिए सिद्धांतों का भी फैसला करता है। राष्ट्रपति द्वारा वित्त आयोग के गठन का प्रावधान भारत के संविधान के अनुच्छेद 280(1) के तहत किया गया है। आयोग का गठन प्रमुख रूप से केन्द्र व राज्यों और स्वयं राज्यों के बीच कर राजस्व के वितरण पर सिफारिशें देने के लिए किया जाता है। देश में अब तक 15 वित्त आयोग गठित किए जा चुके हैं।
वित्त आयोग
15वां वित्त आयोग 1 अप्रैल, 2020 से लेकर 31 मार्च, 2025 तक की 5 वर्षों की अवधि के लिए सिफारिशों को पेश करेगा। 15वें वित्त आयोग के गठन हेतु वित्त मंत्रालय द्वारा केंद्रीय बजट 2017-18 में 10 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे। 15वें वित्त आयोग की विशेष बात यह है कि वस्तु एवं सेवा कर (GST) के 1 जुलाई, 2017 से लागू होने के बाद पहला वित्त आयोग होगा और इसी के चलते यह आयोग अन्य वित्त आयोगों से इतर होगा क्योंकि पहले जहां अप्रत्यक्ष कर प्रणाली लागू थी अब उसके स्थान पर जीएसटी लागू हो गया है। अर्थशास्त्रीयों का मानना है कि इस बार राज्यों की भागीदारी का अनुपात 42% से और बढ़ेगा। |