तटीय बर्थ योजनाः 633 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता के लिए तटीय बर्थ योजना के अंतर्गत 41 परियोजनाओं (1,535 करोड़ रुपये) को स्वीकृति दी गई, जिनमें से 334 करोड़ रुपये प्रमुख बंदरगाहों/राज्य समुद्री बोर्डों/राज्य सरकारों को जारी कर दिए गए। कार्गो की ढुलाई/समुद्री यात्री, राष्ट्रीय जलमार्गों से जुड़ी गतिविधियों को प्रोत्साहन देने के वास्ते बुनियादी ढांचा तैयार करने के लिए केंद्रीय बर्थ योजना को मार्च, 2020 तक बढ़ाया गया।
कौशल विकासः पोत परिवहन मंत्रालय ने 21 तटीय जिलों में तटीय समुदायों के लिए कौशल में कमी से संबंधित विश्लेषण कराया। मछुआरा समुदाय के विकास में सहयोग देने के लिए पोत परिवहन मंत्रालय ने मछुआरा समुदाय की आजीविका में सुधार के लिए डिपार्टमेंट ऑफ एनीमल हसबैंडरी डेयरीइंग एंड फिशरीज (डीएडीएफ) के साथ मिलकर चयनित फिशिंग हार्बर परियोजनाओं को आंशिक तौर पर वित्तपोषण किया। इस उद्देश्य से 13 परियोजनाओं (1189 करोड़ रुपये) के लिए 323 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी गई।
समुद्री एवं जहाज निर्माण उत्कृष्टता केंद्रः आईआरएस और सीमेंस की मदद से 766 करोड़ रुपये की लागत से विजाग और मुंबई में एक समुद्री एवं जहाज निर्माण उत्कृष्टता केंद्र (सीईएमएस) की स्थापना की गई। इस केंद्र का उद्देश्य जहाज डिजाइन, विनिर्माण, परिचालन एवं रखरखाव, मरम्मत और ओवरहॉल (एमआरओ) में घरेलू कौशल की जरूरत पूरी करना है। इसका दीर्घकालिक उद्देश्य दक्षिण एशिया के एक अंतरराष्ट्रीय नोडल केंद्र के तौर पर उभरना, श्रीलंका, बांग्लादेश, थाईलैंड, मलेशिया और इंडोनेशिया जैसे पड़ोसी देशों के विद्यार्थियों को बंदरगाह और समुद्री क्षेत्रा में कौशल विकास के लिए आकर्षित करना है।
राष्ट्रीय बंदरगाह, जलमार्ग और तटीय प्रौद्योगिकी केंद्रः पोत परिवहन मंत्रालय ने देश में बंदरगाह, जलमार्ग और तटों से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर नई खोजों और अनुसंधान आधारित इंजीनियरिंग समाधान उपलब्ध कराने के लए चेन्नई स्थित आईआईटी मद्रास में राष्ट्रीय बंदरगाह, जलमार्ग और तटीय प्रौद्योगिकी केंद्र (एनटीसीपीडब्ल्यूसी) की स्थापना की। एनटीसीपीडब्ल्यूसी बंदरगाहों, भारत के अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (आईडब्ल्यूएआई) और अन्य संबंधित संस्थानों को आवश्यक तकनीक सहयोग उपलब्ध कराने के लिए पोत परिवहन मंत्रालय की एक तकनीक इकाई के तौर पर काम करेगा।
समुद्री लॉजिस्टिक बहु कौशल विकास केंद्रः सागरमाला के अंतर्गत बंदरगाह और समुद्री क्षेत्र में नियोक्ताओं की कौशल संबंधी जरूरतों को पूरा करने और बंदरगाहों के 100 प्रतिशत कर्मचारियों को कुशल बनाने के क्रम में सभी प्रमुख बंदरगाहों पर बहु कौशल विकास केंद्रों (एमएसडीसी) का विकास किया जा रहा है। |