सिविल सर्विसेज मेन्स परीक्षा 2021 हिंदी अनिवार्य पेपर


1. निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर 600 शब्दों में निबन्ध लिखिएः100

  1. बच्चों में कुपोषण की समस्या
  2. वैश्विक शांति की चुनौतियां
  3. मातृभाषा और प्राथमिक शिक्षा
  4. किराये की कोख की सामाजिक स्वीकृति


2. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उसके आधार पर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर स्पष्ट, सही और संक्षिप्त भाषा में दीजिएः12×5 = 60प्राचीन भारत में राजतंत्र का इतना प्रभाव था कि राजा को राज्य की आत्मा कहा गया। प्राचीन धार्मिक ग्रंथों के अनुसार राजा प्रजा के लिए ईश्वर का प्रतिनिधि है, ताकि प्रजा उसकी सहायता से अपने दुखी जीवन से छुटकारा पा सके। राजाविहीन समाज का जीवन कष्टपूर्ण होता है। प्राचीन भारतीय विद्वानों ने राजा या राज्य की उत्पत्ति के संबंध में समय-समय पर अनेक विचार प्रस्तुत किए हैं। उनको विभिन्न सिद्धांतों के रूप में निर्धारित किया गया है, जैसे- दैवीय सिद्धांत, शक्ति का सिद्धांत, सुरक्षा का सिद्धांत, सामाजिक समझौते का सिद्धांत आदि।

कौटिल्य ने राज्य को मानव जीवन के लिए एक महत्वपूर्ण, आवश्यक और कल्याणकारी संस्था माना है। उन्होंने राजा की उत्पत्ति की क्रमबद्ध विवेचना नहीं की, लेकिन उनके ‘अर्थशास्त्र’ में स्पष्ट उल्लेख है कि जैसे छोटी मछली को बड़ी मछली खा जाती है, उसी तरह प्राचीन काल में बलवान लोग निर्बल लोगों को सताते थे। इस अन्याय (मत्स्य न्याय) यानी जंगल राज से प्रजा पीड़ित थी। पीड़ित प्रजा ने मिलकर एक समर्थ व्यक्ति को अपना राजा नियुक्त किया। उन्होंने राजा को कृषि उपज का छठां भाग और व्यापार की आय का दसवां भाग देने का निश्चय किया। इसके बदले राजा ने प्रजा के कल्याण का दायित्व अपने ऊपर लिया। जो लोग राजा द्वारा की गई व्यवस्था को नहीं मानते थे, उन्हें वह दण्ड देता था। राजा को इन्द्र और यम के समान प्रजा का रक्षक और कृपा करने वाला माना गया है। कौटिल्य के अनुसार राजा की आज्ञा का पालन न करना अथवा उसका अपमान करना निषिद्ध है।

जिस समाज में राजा द्वारा प्रजा को रक्षण प्रदान किया जाता है, वहां लोग निर्भय होकर घर के दरवाजे खोलकर विचरण करते हैं। जब राजा रक्षा करता है तो स्त्रियां अकेली ही आभूषण पहन कर मार्ग में विचरण कर सकती हैं। राजा द्वारा रक्षित समाज में मानवता का साम्राज्य होता है। ऐसे राज्य में सब प्रकार की उन्नति होती है। अन्य प्राचीन ग्रंथों के साथ कौटिल्य के ‘अर्थशास्त्र’ में भी इस सत्य को प्रतिपादित किया गया है। पहले राजा का पद अस्थिर और शक्तियां नियंत्रित थीं। मगर उत्तर वैदिक काल में राज्यों का आकार ज्यों-ज्यों बढ़ता गया, त्यों-त्यों राजा के अधिकार एवं ऐश्वर्य में वृद्धि होती गई। प्रजा की रक्षा की अपेक्षा राजा की रक्षा पर अधिक ध्यान दिया जाने लगा। राज-पद की प्रतिष्ठा के अनुरूप राजा का वैभव, शान-शौकत और दिखावा बढ़ गया। शुक्र नीति में इसका विस्तृत वर्णन किया गया है।

  1. राजा और राज्य की प्राचीन अवधारणा क्या है?12
  2. ‘मत्स्य न्याय’ को अन्याय कहने का क्या अभिप्राय है?12
  3. राजा और प्रजा के आपसी सम्बन्धों का आधार क्या है?12
  4. ‘मानवता का साम्राज्य’ से क्या अभिप्राय है?12
  5. उत्तर वैदिक काल में प्रजा की स्थिति में क्या बदलाव हुए?12


3. निम्नलिखित अनुच्छेद का संक्षेपण लगभग एक-तिहाई शब्दों में लिखिए। इसका शीर्षक लिखने की आवश्यकता नहीं है। संक्षेपण अपने शब्दों में ही लिखिए।60

राजा राममोहन राय के क्रियाकलापों के विरोधी भारतीय व्यापारियों ने ब्रह्म समाज के प्रभाव को खत्म करने के लिए 1830 ई. में एक धर्म समाज नामक संस्था की स्थापना की। इसी समय में हेनरी डेरोजियो ने आधुनिक ढंग के एक शैक्षिक संगठन, हिन्दू कॉलेज में अकादमिक एसोसिएशन की स्थापना की। यह संघ परंपरागत रूढ़ियों और अंधविश्वासों के विरोध में अन्य ऐसे संगठनों से अधिक दृढ़ था। इस संघ से ही युवा बंगाल की स्थापना हुई। हिन्दू कॉलेज के कर्मचारियों द्वारा तंग करने के कारण जब यह संगठन विघटित हो गया, तो इसके भूतपूर्व सदस्य ब्रह्म समाज में सम्मिलित हो गए। राममोहन राय की मृत्यु के बाद से इस समाज का नेतृत्व एक प्रमुख बंगाली व्यापारी द्वारकानाथ ठाकुर के हाथ में था। उन्नीसवीं शताब्दी के चौथे और पांचवें दशकों के दौरान बंगाल में ज्ञान प्रसार और ऐसे ही अन्य लक्ष्यों के संवर्धक सामाजिक संगठन एक के बाद एक प्रकट हुए। अंत में 1851 ई. में कलकत्ता में ब्रिटिश इंडियन एसोसिएशन नामक एक परिपक्व राष्ट्रवादी राजनीतिक संगठन कायम किया गया।

इस तरह की घटनाएं बंबई में भी देखी जा सकती थीं। देश के इस भाग में ऐसे आन्दोलनों के प्रमुख नेता धनी और सुसम्मानित पारसी थे, जो औपनिवेशिक शासन के साथ सहयोग कर रहे थे, और युवा उदीयमान महाराष्ट्रीय बुद्धिजीवी थे, जो यूरोपीय पद्धति पर संचालित स्थानीय शैक्षणिक संस्था, एलफिन्स्टन कॉलेज से जुड़े हुए थे। इन बुद्धिजीवियों में प्रमुख थे बालशास्त्री जाम्बेकर, जिन्होंने अंग्रेजी-मराठी साप्ताहिक ‘बंबई दर्पण’ की स्थापना की, जो अपने देश के प्रशासन में भारतीयों को हिस्सा लेने देने के लिए वकालत करता था तथा औपनिवेशिक कर एवं शुल्क नीतियों की आलोचना करता था; रामकृष्ण विश्वनाथ, जिन्होंने मराठी में भारत के इतिहास पर एक पुस्तक प्रकाशित की, जिसमें उन्होंने भारत में ब्रिटिश नीतियों की आलोचना की, हालांकि उनका विचार था कि सब कुछ ठीक किया जा सकता है, बशर्ते कि प्रबुद्ध अंग्रेजों और भारतीयों के बीच घनिष्ठ संपर्क हो; गोपाल हरि देशमुख, जो पूना के ‘प्रभाकर’ में लोकहितवादी के उपनाम से लिखते थे। उन्होंने भारत की स्वतंत्रता के अपहरण के कारणों का विश्लेषण किया, जो उनकी राय में पुरानी सामंती प्रथाओं का पालन और अभिजात वर्ग तथा भारतीय जनता को एक-दूसरे से पृथक करने वाली खाई थे।

1852 में स्थापित बंबई एसोसिएशन में तब फूट पड़ गई, जब युवा छात्रों ने सभी भारतीयों के लिए अंग्रेजों के समान अधिकारों की मांग की, और नरमपंथी उच्च वर्गीय व्यापारी इससे अलग हो गए। अकेले मद्रास एसोसिएशन ने ही भारतीय जमींदारों द्वारा किसानों के शोषण को बंद करने के प्रश्न को उठाया। उस समय ईस्ट इंडिया कंपनी के चार्टर का फिर पुनरीक्षण हो रहा था, इसलिए तीनों एसोसिएशनों ने भारत में औपनिवेशिक शासन के ‘अन्यायों’ के बारे में लंदन में संसद को याचिकाएं भेजीं।


4. निम्नलिखित गद्यांश का अंग्रेजी में अनुवाद कीजिएः20

प्रत्येक देश के इतिहास पर उसके भूगोल का प्रभाव पड़ता है। जहां तक भारत का प्रश्न है, उसकी सभ्यता युग-युगांतरों से स्वतंत्र रूप से विकसित होती रही है। उत्तरी पर्वतों की भयंकर रुकावटों और दक्षिण के समुद्रों के कारण भारत शेष विश्व से प्रायः पृथक् रहा। फलस्वरूप उस पर अधिक विदेशी प्रभाव नहीं पड़ सका। हिमालय पश्चिम से पूर्व तक लगभग 1600 मील लंबी और 50 मील चौड़ी एक दोहरी दीवार है। पूर्व में पत्कोई, नागा और लुशाई की पहाड़ियां और उनके घने जंगल आने-जाने में बाधा डालते हैं। पश्चिमी छोर पर कुछ दर्रे अवश्य हैं; जैसे खैबर और बोलन के, जहां से होकर विदेशी आते थे। दक्षिण की ओर शताब्दियों तक समुद्र भारत में आसानी से आने-जाने में रुकावट डालता रहा। किंतु बाद में नौ-विद्या-क्षेत्र में पर्याप्त प्रगति हुई। फिर तो यह समुद्र व्यापार के लिए सुगम मार्ग ही बन गया। 1498 ई. में वास्को-दी-गामा के नेतृत्व में पुर्तगाली लोग सबसे पहले समुद्री रास्तों से भारत आए। उसके बाद डच, फ्रांसीसी और अंग्रेज आए। ये सभी बहुत समय तक भारत में अपना प्रभुत्व जमाने के लिए आपस में संघर्ष करते रहे। इस प्रकार कुल मिलाकर भारत की भौगोलिक पृथकता के कारण यहां की सभ्यता पर अधिक विदेशी प्रभाव नहीं पड़ा।


5. निम्नलिखित गद्यांश का हिन्दी में अनुवाद कीजिएः20

At the stroke of the midnight hour, when the world sleeps, India will awake to life and freedom. A moment comes, when we step out from the old to the new. It is fitting that at this solemn moment we take the pledge of dedication to the service of India. The service of India means the service of the millions who suffer. It means the ending of poverty and ignorance. It means the ending of disease and inequality of opportunity. The ambition of the greatest man of our generation has been to wipe every tear from every eye. That may be beyond us, but as long as there are rears and suffering, so long our work will not be over. This is no time for petty and destructive criticism, no time for ill-will or blaming others. We have to build the noble mansion of free India where all her children may dwell.

It is a fateful moment for us in India, for all Asia and for the world. A new star rises, the star of freedom in the East, a new hope comes into being. May the star never set and that hope never be betrayed!


6.(a) निम्नलिखित मुहावरों का अर्थ स्पष्ट करते हुए उनका वाक्यों में प्रयोग कीजिएः 2×5 = 10

  1. आंख खुलना
  2. आकाश चूमना
  3. पानी में आग लगाना
  4. टेढ़ी खीर
  5. धोखे की टट्टी

(b) निम्नलिखित वाक्यों के शुद्ध रूप लिखिएः2×5 = 10

  1. पक्षी अंडे देता है।
  2. ये लड़का गानेवाला है।
  3. मरते क्या नहीं करते।
  4. घोड़ा लंगड़ाते हुए भागा।
  5. जहां अभी जंगल है यहां कभी नदी थी।

(c) निम्नलिखित शब्दों के दो-दो पर्यायवाची लिखिएः2×5 = 10

  1. अक्षर
  2. लहर
  3. दर्पण
  4. आभूषण
  5. बाल

(d) निम्नलिखित युग्मों को इस तरह से वाक्य में प्रयुक्त कीजिए कि उनका अर्थ एवं अंतर स्पष्ट हो जाएः2×5 = 10

  1. पास - पाश
  2. दिन - दीन
  3. प्रसाद - प्रासाद
  4. पानी - पाणि
  5. शंकर - संकर