Question : ‘ग्लोबल कॉमन’ के परिप्रेक्ष्य में भारत तथा आर्कटिक परिषद के संबंधों का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए।
Answer : उत्तरः आर्कटिक काउंसिल की आठवीं बैठक किरूना (स्वीडन) में मई 2013 में सम्पन्न हुई जहां पर भारत, चीन, इटली, जापान, दक्षिण कोरिया तथा सिंगापुर को पर्यवेक्षक देश के रूप में आमंत्रित किया गया था।
Question : सांस्कृतिक कूटनीति सदैव से भारत का एक दृढ पक्ष रहा है। हाल ही में सरकार द्वारा की गयी पहलों के प्रकाश में इसकी चर्चा करें। क्या आपको लगता है कि अन्य राष्ट्रों से इस प्रकार के संबंध किसी राष्ट्र की ठोस विदेश नीति को हल्का कर देते हैं? परीक्षण करें।
Answer : उत्तरः सांस्कृतिक कूटनीति, विदेश नीति का एक महत्वपूर्ण उपकरण है जिसके द्वारा देशों तथा लोगों से प्रगाढ़ संबंध स्थापित करने के प्रयास किए जाते हैं। पूर्व में संस्कृति तथा वाणिज्य में आंतरिक संबंध थे। सांस्कृतिक जुड़ाव के माध्यम से देशो के बीच राजनीतिक, वाणिज्यिक तथा आर्थिक संबंधों का सशक्तिकरण किया जाता था।
सरकार की हाल की पहल
Question : सार्क सेटेलाइट का प्रक्षेपण भारत की तकनीकी श्रेष्ठता के प्रदर्शन के स्थान पर तकनीकी कूटनीति का उदाहरण है जिसका भारत के सार्क देशों के साथ संबंधों पर दूरगामी प्रभाव पड़ने की संभावना है। स्पष्ट करें।
Answer : उत्तरः भारत द्वारा सार्क सेटेलाइट का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण कर दिया गया है। इस GSAT-9 उपग्रह को श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से GSLV-F09 द्वारा प्रक्षेपित किया गया। यह उपग्रह इसरो द्वारा डिजाइन एवं प्रक्षेपित किए अन्य संचार उपग्रहों के समान ही है और तकनीकी रूप से विशेष नहीं है। किंतु इस उपग्रह का विशेष कूटनीतिक महत्व है।
Question : भारत और पाकिस्तान के बीच विवाद के प्रमुख मुद्दों का समालोचनात्मक परीक्षण करें।
Answer : उत्तरः भारतीय उपमहाद्वीप में विभाजन के साथ कट्टर प्रतिद्वंदिता के कारण पाकिस्तान का निर्माण हुआ और सह ऐतिहासिक आधार भारत-पाकिस्तान के संबंधों को आज भी प्रभावित कर रहा है। जहां भारत का निर्माण लोकतांत्रिक पंथनिरपेक्ष एवं बहुलवादी राज्यों के रूप में हुआ, वहीं पाकिस्तान का निर्माण धार्मिक आधार पर हुआ तथा इसने भारत विरोधी नीति को मूल आधार बनाया। दोनों देशों के बीच विवाद के प्रमुख मुद्दे निम्नलिखित हैं-
Question : भारत के लिए अफ्रीकी देशों के महत्व पर चर्चा करते हुए अफ्रीका में चीन के बढ़ते प्रभाव को दर्शाएं।
Answer : उत्तरः वर्तमान में अफ्रीकी देशों की आर्थिक वृद्धि दर निरंतर बढ़ रही है तथा वृद्धि के कारण भी विश्व के नए बाजार के रूप में उभर रहा है। इसलिए अफ्रीका महाद्वीप को आर्थिक समृद्धि का केंद्र कहा जा रहा है। यह प्राकृतिक संसाधनों से संपन्न है। वर्तमान में चीन का अफ्रीका के साथ लगभग 225 बिलियन डॉलर का व्यापार है जबकि अमेरिका अफ्रीका के बीच का व्यापार 150 बिलियन डॉलर का है तथा भारत और अफ्रीका के बीच द्विपक्षीय व्यापार 72 बिलियन डॉलर है।
Question : ‘भारत-प्रशांत द्वीपीय सहयोग मंच’ के उद्देश्यों व भारत के लिए उसकी महत्ता पर टिप्पणी करें।
Answer : उत्तरः प्रशांत द्वीपसमूह 14 द्वीपीय राष्ट्रों का एक समूह है, जो दक्षिण प्रशांत महासागर में स्थिति है, तथा जिसकी आबादी 8 मिलियन से अधिक है, तथा इसका सामरिक संबंध वैश्विक ताकतों से सीमित तौर पर है। 21वीं शताब्दी में एशियाई राष्ट्रों की ओर ध्यान आकर्षित होने से इन राष्ट्रों की महत्ता बढ़ गई है।
भारत एवं प्रशांत द्वीपीय देशों के बीच संबंधों के क्षेत्र
Question : भारतीय डायस्पोरा की विशेषताएं, योगदान व महत्व पर टिप्पणी करें।
Answer : उत्तर: विशेषताएं
महत्व
योगदान
Question : चीन के ‘वन वेल्ट वन रोड’ रणनीति को भारत किस प्रकार से संतुलित कर सकता है?
Answer : उत्तरः चीन की ‘‘वन वेल्ट वन रोड’’ एक रणनीतिक प्रणाली है, जिससे चीन एशिया के देशों, यूरोपीय देशों एवं अफ्रीकी देशों को एक साथ व्यापार के द्वारा जोड़ना चाह रहा है। एक ओर पूर्वी एशिया का उभरता हुआ आर्थिक वृत तो दूसरी और विकसित देशों का आर्थिक वृत, और इन दोनों के बीच आर्थिक विकास की क्षमता से पूर्ण देशों का संजाल फैला हुआ है।
Question : वर्तमान अस्थिर वैश्विक भू-राजनीतिक परिदृश्य में भारत-जापान संबंध एक अद्वितीय संयोजन है। चर्चा करें।
Answer : उत्तरः भारत-जापान संबंध भारत की ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ का मुख्य स्तंभ है, जो मजबूत सामरिक, राजनीतिक एवं आर्थिक भागीदारी की नींव पर अध्यारोपित है।
सुरक्षा
आर्थिक
अंतर्राष्ट्रीय
रिश्ते में बाधाएं
Question : भारत की ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ उसकी ‘पूर्व की ओर देखो नीति’ से अलग कैसे है? परीक्षण करें।
Answer : उत्तरः भारत सरकार ने नब्बे के दशक में ‘‘पूर्व की ओर देखो नीति’’ की शुरुआत की थी। इसका उद्देश्य भारत का ध्यान पश्चिमी एवं पड़ोशी देशों से हटाकर आर्थिक रूप से उभरते हुए दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के तरफ आकर्षित करना था। इसका एक लक्ष्य उत्तर पूर्व राज्यों का आर्थिक विकास करना भी था। सरकार ने वर्ष 2015 में इसे ‘‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’’ के रूप में पदोन्नत किया।
गुण
इसकी कुछ सीमा भी हैः
महत्वपूर्ण अंतर
पूर्व की ओर देखो:
एक्ट ईस्ट पॉलिसीः
Question : भारत-रूस संबंधों की मुख्य स्तंभों पर प्रकाश डालते हुए इनके आधार को कमजोर करने वाले तत्वों को रेखांकित करें।
Answer : उत्तरः शीत युद्ध काल में भारत-रूस शांति एवं मित्रता संधि के हस्ताक्षर के माध्यम से भारत-रूस संबंधों की नींव रखी गई, जिसके उपरांत संबंधों की प्रकृति ने विविधतापूर्ण स्वरूप ग्रहण किया।
इन विविधतापूर्ण स्वरूप को निम्न बिंदुओं के माध्यम से रेखांकित किया जा सकता है-
कमजोर करने वाले तत्व
Question : भारतीय विदेश नीति को सिद्धांतवाद के स्थान पर अधिक व्यवहारवादी बनाए जाने की जरूरत है। भारत के अंतरराष्ट्रीय संबंध में हाल में होने वाले बदलावों को स्पष्ट करें।
Answer : उत्तरः भारतीय विदेश नीति की आधारिक रूपरेखा तय करने वाले प्रथम भारतीय प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने भारत को उसके पारम्परिक आदर्शों का पालन करने वाले देश के रूप में पेश किया तथा गुटनिरपेक्षता, निरस्त्रीकरण, शांतिपूर्ण सहअस्तित्व एवं अहिंसा को भारतीय विदेश नीति का आधार स्तम्भ घोषित किया।
भारतीय विदेश नीति में नवीन परिवर्तन
Question : जापान की नाभिकीय नीति को विस्तृत रूप से समझते हुए बताइए कि इसने भारत के साथ संबंधों को किस प्रकार प्रभावित किया है?
Answer : उत्तरः जापान के हिरोशिमा एवं नागासाकी पर अगस्त, 1945 में अमेरिका ने परमाणु बम गिराए जिसने जापान को तहस नहस कर दिया। इसी के फलस्वरूप जापान नाभिकीय हथियारों की विभिषिका को अच्छी तरह समझता है। उसने अपने संविधान के अनुच्छेद-9 में ‘युद्ध का त्याग’ भी किया है।
Question : भारत की परमाणु कूटनीति क्या है?
Answer : उत्तरः भारत हमेशा से परमाणु शक्ति के शांतिपूर्ण प्रयोग का पक्षधर रहा है। इसने परमाणु ऊर्जा तथा परमाणु तकनीक वचनबद्धता प्रकट की है। परंतु परमाणु अप्रसार संधि तथा व्यापक परमाणु परीक्षण संधि, मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रिजिम के विभेदकारी स्वरूप के कारण इन संधियों का न सिर्फ विरोध किया है बल्कि भारत ने इस संधियों पर हस्ताक्षर न करने के मुख्यतः दो कारण भी बताए हैं, जो निम्नलिखित हैं-
हालाकि भारत द्वारा परमाणु परीक्षण के बाद इसके समक्ष कई समस्याएं भी उभरीं-
Question : “भारत हिंद महासागर क्षेत्र में अपना रणनीतिक प्रभाव खो रहा है” इस क्षेत्र में हाल के विकास के प्रकाश में इस कथन का आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिए।
Answer : उत्तरः हिंद महासागर क्षेत्र में भारत के अपने प्रभाव खोने को लेकर बहस तब छिड़ी जब मालदीव की सरकार ने एक भारतीय कंपनी के एयरपोर्ट अनुबंध को रद्द कर दिया।